विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि देशों को राष्ट्रवाद पर रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है। शुक्रवार को गुजरात के केवाड़िया में आयोजित इंडियाज आईडियाज कॉन्क्लेव में उन्होंने यह बात कही। विदेश मंत्री ने कहा कि राष्ट्रवाद आज के वर्तमान दौर में एक रक्षात्मक विशेषता के तौर पर बन चुका है। विदेश मंत्री इससे पहले वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भी राष्ट्रवाद पर अपने विचार व्यक्त कर चुके हैं।
आज के दौर की विशेषता
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘राष्ट्रवाद का उदय हमारे वर्तमान युग को परिभाषित करने वाली विशेषताओं में से एक है। इसने खुद को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में कई विविध रूपों में प्रकट किया है, जिनमें कई दृश्य लोकतांत्रिक मान्यताओं वाले हैं।’अमेरिका में वर्तमान राजनीति, चीन का उदय, ब्रेक्जिट इसके स्पष्ट उदाहरण हैं।’ विदेश मंत्री की मानें तो भारत का वैश्विक दृष्टिकोण पहले से कम नहीं, बल्कि अब अधिक वैश्विक हो गया है। जलवायु परिवर्तन, कट्टरता, आतंकवाद से निपटने और महामारी जैसे मुद्दों पर देश का योगदान एक खास असर पैदा कर रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में भी उन्होंने दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड इकोनामिक फोरम में राष्ट्रवाद पर पहली बार अपनी राय सार्वजनिक तौर पर व्यक्त की थी।
भारत सरकार को बताया राष्ट्रवादी सरकार
जयशंकर ने तब कहा था कि राष्ट्रवाद कोई नकारात्मक भावना नहीं है। उन्होंने भारत सरकार को एक राष्ट्रवादी सरकार करार दिया था। विदेश मंत्री ने कहा था कि किसी भी देश के साथ आपसी संपर्क बढ़ाने में हमें कोई आपत्ति नहीं है। यशंकर के मुताबिक इस बात में कोई शक नहीं होना चाहिए भारत एक राष्ट्रवादी देश है। राष्ट्रवाद के बावजूद आर्थिक महत्वकांक्षाओं को रुकने नहीं दिया जाएगा। जयशंकर के शब्दों में, ‘भारत एक अपवाद है क्योंकि हम बहुत ज्यादा राष्ट्रवादी हैं। लेकिन इसके साथ ही साथ हमें इस बात को लेकर राष्ट्रवादी होने और अंतरराष्ट्रीय होने के बीच किसी तरह का कोई तनाव नजर नहीं आता है। अगर दुनिया के साथ वार्ता की बात की जाए तो उसमें भी कोई तनाव नहीं है। मुझे नहीं लगता है कि राष्ट्रवाद एक नकरात्मक संवदेना है।’