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JPC की सिफारिशों को NDA सरकार बनाएगी हथियार, दोनों ने वक्फ के कामकाज की निगरानी पर दिया जोर

नई दिल्ली:   वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाने की तैयारी में जुटी सरकार विपक्ष के हर हमले की काट के लिए व्यापक तैयारी में जुट गई है। वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन विधेयक मामले में सरकार सच्चर कमेटी और यूपीए-1 के कार्यकाल में रहमान खान की अगुवाई में बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों को हथियार बनाएगी। इस दौरान सरकार यह भी बताएगी कि आखिर नरसिंह राव और मनमोहन सरकार के दौरान किन सियासी कारणों से वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दी गईं।

सरकार के सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित विधेयक में नया कुछ नहीं है। पहले सच्चर कमेटी और बाद में जेपीसी ने जो सिफारिशें की थीं और इससे भी पहले मुस्लिम समाज की ओर से वक्फ में सुधार के लिए जो सुझाव मिले थे, विधेयक में उसी को शामिल किया गया है। मसलन सच्चर कमेटी ने अपनी सिफारिशों में राज्य वक्फ बोर्ड में कम से कम दो और केंद्र्रीय वक्फ परिषद में एक महिला की नियुक्ति को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की थी। इस कमेटी के साथ जेपीसी ने भी माना था कि वक्फ में पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी है। वक्फ संस्थाओं में कुप्रबंधन से निपटने के लिए वैधानिक शक्तियों का उपयोग जरूरी है। प्रस्तावित विधेयक में इन्हीं भावनाओं को शामिल किया गया है।

कुप्रबंधन और अपारदर्शिता की बात भी सच्चर कमेटी और जेपीसी दोनों ने माना था कि वक्फ बोर्ड में व्यापक कुप्रबंधन के साथ संपत्तियों के संदर्भ में व्यापक स्तर पर अपारदर्शिता है। जेपीसी से कुप्रबंधन से निपटने के लिए राज्य सरकारों के वैधानिक शक्तियों के उपयोग पर जोर दिया था।

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