चतुरी चाचा ने प्रपंच का आगाज करते हुए कहा- भैय्य्या आजु काल्हि टीवी द्याखय बड़ा मजा आय रहा। बस, न्यूज चैनल बदलत रहव, मौजय लेते रहव। चुनाव क बखत सीरियल अउ फिल्मी चैनल द्याखय जरूरत नाइ। काहे ते न्यूज चैनल्स भरपूर मनोरंजन कराय रहे। सब जगह नेतन केरी नौंटकी चलि रही। हर जगह नेतन कय ‘तू तू मैं मैं’ अउ ‘पुतरा-भतरा’ दिन राति चलत हय। सब याक दुसरे नंगा करय प आमादा रहत हयँ। युहु सब देखि कय मजा आय जात हय। नेता पांच साल बहुतै मजा करत हयँ। मुला, चुनावम नेतन की कचूमर निकर जात हय। नेता सत्ता सुख भोगय क बेरिया जनता अउ पारटीय करिन्दन ते मिलब पसन्द नाइ करत। चुनाव अउतय खन नेतन ख़ातिन जनता भगवान होय जात हय। पारटी कार्यकर्ता देवतुल्य होय जात हयँ।
चतुरी चाचा अपने चबूतरे पर विराजमान थे। मुंशीजी व कासिम चचा वहीं बैठे आपस में खुसुर-पुसुर कर रहे थे। पुरई चबूतरे की फुलवारी में कुछ मौसमी फूलों के पौधे लगा रहे थे। आज कई दिनों बाद सुबह चटक धूप निकली थी। गांव के बच्चे अलग-अलग टोली में कंचा व गुल्ली-डंडा खेल रहे थे। मैंने चबूतरे पर पहुंचकर सबको राम-राम की। तभी ककुवा व बड़के दद्दा की जोड़ी भी चबूतरे पर पधार गई। चतुरी चाचा ने बतकही शुरू की। उनका कहना था कि आजकल टीवी पर नेतागण मनोरंजन कर रहे हैं। सारे न्यूज चैनल्स मनोरंजन के चैनल्स बन गए हैं। नेताओं की सिर-फुटव्वल देखने वाली होती है। चुनाव में नेताओं की हालत पतली हो जाती है। सारे नेता जनता को भगवान और पार्टी कार्यकर्ताओं को देवता की तरह पूजने लगते हैं। यही नेता चुनाव के पहले जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलना तक पसन्द नहीं करते थे।
ककुवा ने चतुरी चाचा की बात में अपनी सहमति जताते हुए कहा- चतुरी भाई, आप ठीक कह रहे हौ। हमहुँ आजु काल्हि खूब टीवी देखित हय। पांचव राज्यन केर चुनावी हालचाल मिलि जात हयँ। यहिक साथे भरपूर मनोरंजन होय जात हय। हमका मजा युहु देखि क आवत हय कि जउन नेता काल्हि तलक भाजपा म रहय। उहु आज सपा म हय। जउन सपा म रहय। उहु भाजपा म हय। पहिले उ नेता सपा क पानी पी-पी गरियावत रहय। आजु वहै नेता भाजपा का कोसि रहा हय। यही तिना कौनव बसपा ते सपा म जाय रहा। कौनव कांग्रेस ते भाजपा आय रहा। यूपी म दुई-ढाई महीना ते दलबदल चलि रहा हय। नेतन म अब कौनिव नैतिकता नाइ बची हय। जादा तर नेतन पय कुर्सी सिद्धांत अउ भाई-भतीजावाद हावी हय। कुछु नेता अपनी जाति अउ धरम की राजनीति कय रहे हयँ। साँच पूछो तौ देस का मोदी योगी अस नेतन की जरूरत हय।
इसी चंदू बिटिया प्रपंचियों के लिए जलपान लेकर आ गई। आज जलपान में बेसन के आलू, हरी धनिया-मिर्च की चटपटी चटनी व कुल्हड़ वाली स्पेशल चाय थी। चटनी संग बेसन के स्वादिष्ट आलू ख़ाकर सबने पानी पीया। फिर चाय के साथ चर्चा आगे बढ़ी।
कासिम चचा ने दलबदलू नेताओं की खिंचाई करते हुए कहा- चुनाव के वक्त नेताओं की असलियत पता चलती है। कुर्सी के लिए तमाम नेता दलबदल करते हैं। कई नेता तो अपने मूल दल के धुर विरोधी दल में रातोंरात चले जाते हैं। वे कल तक जिस विचारधारा का गुणगान करते थे, आज उसी विचारधारा को पानी पी-पीकर गरिया रहे हैं। जिन बड़े नेताओं की सालों-साल चरण वन्दना की थी, उन्हीं नेताओं की अब कटु निंदा कर रहे हैं। आख़िर ऐसे दलबदलू नेताओं की सोच क्या है? क्या सिर्फ कुर्सी के लिए ही राजनीति में आये हैं? कुछ नेता सिर्फ अपने परिवार के बारे में ही चिंतन करते हैं। वे अपने परिवार के हर सदस्य के लिए कोई न कोई कुर्सी चाहते हैं। वे सत्ता की सारी मलाई अपने घर में रखना चाहते हैं। इनका समाज और राष्ट्र हित से कोई वास्ता नहीं होता है। ऐसे नेताओं को सत्ता ही नहीं, राजनीति से ही बेदखल करने की जरूरत है। सत्ता लोलुप और भाई-भतीजावाद में डूबे नेताओं के पक्ष में मतदान करना महामूर्खता है।
मुंशीजी ने कासिम चचा की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- राजनीति एक तरह की लत है। इसमें भी एक अजीबोगरीब नशा है। यह लत जब किसी शख्स को लग जाती है। तब वह व्यक्ति लाभ-हानि, यश-अपयश, पदोन्नति-पदच्युत, जीत-हार व मान-अपमान की स्थिति से ऊपर उठ जाता है। राजनीति का लती व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ राजनीति करता है। उसे राजनीति में ही आंनद मिलता है। वह कई बार घर-परिवार, इष्ट-मित्र, गांव-जवार व समाज-राष्ट्र के हितों को दफन करके सिर्फ अपना हित साधता है। राजनीति का नशेड़ी आदमी कई बार बड़ा निर्दयी, निर्लज्ज, झूठा व बेईमान भी बन जाता है। तमाम नेता अक्सर सत्ता लोलुप बन जाते हैं। उनके अंदर जमीर नाम की चीज नहीं होती है। वे कभी इस दल में तो कभी उस दल में दिखाई पड़ते हैं। उनको किसी विचारधारा से लेनादेना नहीं होता है। बस, उन्हें कुर्सी की दरकार होती है। ऐसे नेता कई बार कुर्सी के इस खेल में पैदल भी हो जाते हैं। इन आयाराम-गयाराम टाइप नेताओं को कई बार जनता भी सबक सिखाती है। ये न घर के रहते हैं और न घाट के।
बड़के दद्दा ने विषय परिवर्तन करते हुए प्रपंचियों को जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बीच विधान परिषद के 36 सदस्यों का भी चुनाव होने जा रहा है। इसमें 35 सीटें स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से हैं। ग्राम प्रधान, क्षेत्र पँचायत सदस्य व जिला पँचायत सदस्य अपने प्रतिनिधि चुनेंगे। इन सीटों के लिए तीन व सात मार्च को मतदान होगा। विधान परिषद का परिणाम 12 मार्च को घोषित होगा। जबकि यूपी सहित उत्तराखंड, पँजाब, मणिपुर व गोवा राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आ जाएंगे। यूपी में दोनों चुनाव करवाना शासन-प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि, जिस दिन विधानसभा के लिए वोट पड़ेंगे, उसी दिन एमएलसी के लिए भी मतदान होगा। यूपी में विधानसभा के छठे चरण का तीन मार्च और सातवें चरण का मतदान सात मार्च को होगा। इन्हीं दोनों तारीखों में विधान परिषद के लिए भी मतदान होगा। हालांकि, राजनैतिक दलों के लिए एक मामले में विधान परिषद का चुनाव लाभकारी होगा। विधानसभा चुनाव में जिन लोगों का टिकट कट गया है। उनमें से अनेक लोगों को विधान परिषद का टिकट दे सकेंगे। इससे पार्टी में भितरघात में कम होगा।
मैंने प्रपंचियों को कोरोना का अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 37 करोड़ 10 लाख लोग कोरोना की जद में आ चुके हैं। इनमें 56 लाख 70 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में अबतक चार करोड़ नौ लाख लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें चार लाख 93 हजार लोग बेमौत मारे जा चुके हैं। महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात व दिल्ली सहित दर्जन भर राज्यों में अभी स्थिति ठीक नहीं है।
देश में अबतक कोरोना टीके की 165 करोड़ से अधिक डोज लग चुकी हैं। भारत के 70 करोड़ लोगों को कोरोना टीके की दोनों खुराक मिल चुकी है।
देश के आधे से अधिक बच्चों (15 से 18 वर्ष) को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। वहीं, कोरोना योद्धाओं को बूस्टर डोज युद्ध स्तर पर दी जा रही है। मार्च महीने से 12 से 15 वर्ष आयु वाले बच्चों को भी वैक्सीन लगने लगेगी। भारत सहित पूरे विश्व में कोरोना का ओमिक्रोन वैरियंट कहर ढाए है। भारत में तकरीबन ढाई लाख नए कोरोना मरीज रोज निकल रहे हैं। शुक्रवार-शनिवार को करीब 900 लोगों की मौत हो गयी थी। हालांकि, अब 24 घण्टे में आने वाले नए मरीजों की सँख्या तेजी से घट रही है। बहरहाल, मास्क और दो गज की दूरी बहुत जरूरी है।। अंत में प्रपंचियों ने दो मिनट का मौन रखकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!