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शिक्षा में नई संभावना

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल आपदा राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका का निर्वाह कर रही है। पिछले दिनों उन्होंने राजभवन से राहत सामग्री वाहनों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया था। राजभवन और उसके निकट तैनात सुरक्षा कर्मियों की सुविधा पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा वह कुलाधिपति के रूप में ई शिक्षण और बेबीनार आदि को प्रोत्साहन दे रही है। पिछले दिनों कृषि विश्वविद्यालय के बेबीनार में उन्होंने उपयोगी विचार दिए थे, जिनका सीधा संबन्ध आज संचालित राहत कार्यों से भी है। एक अन्य बेबीनार में उन्होने ई शिक्षण पर कारगर विचार दिए। इसमें उन्होंने ठीक कहा कि ई शिक्षण की व्यवस्था इस समय विशेष रूप से उपयोगी साबित हो रही है। शिक्षण प्रक्रिया में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था को बहुत ही कम समय में लाया गया। इसमें संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया डिजिटल इंडिया अभियान अनेक क्षेत्रों में उपगोगी साबित हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोद्धन में इसका उल्लेख भी किया था। एक समय था जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री ने पद पर रहते हुए स्वीकार किया था कि दिल्ली से गरीबों के लिए यदि सौ पैसे भेजे जाते है तो केवल पन्द्रह पैसे ही पहुंच पाते है। नरेंद्र मोदी ने जनधन खातों व डिजिटल इंडिया अभियान से इस कमी का समापन कर दिया। मोदी ने कहा कि कुछ वर्ष पहले यह कल्पना करना भी मुश्किल था कि गरीबों तक पूरी धनराशि पहुंच सकेगी। आज यह संभव है। लॉक डाउन में भी गरीबों के जनधन खातों में भरण पोषण भत्ते की पूरी राशि ट्रांसफर कर दी गई। इसी प्रकार लॉक डाउन में शिक्षण संस्थान बन्द है,फिर भी ऑनलाइन क्लास व बेबीनार आदि का संचालन हो रहा है। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने शिक्षा में इस प्रगति को सामयिक व सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि डिजिटल ने  शिक्षा के नए प्रारूपों को गति दी है। लॉक डाउन में  शिक्षक व शिक्षण संस्थान इस दिशा में कारगर प्रयास कर रहे है। इससे शिक्षण के क्षेत्र में इस समय जो व्यवधान आया है,उसका समाधान संभव हो रहा है। इससे समाज में शिक्षण संस्थानों ने अपनी विश्वसनीयता प्रमाणित की है। संस्थान वर्तमान चुनौती से विचलित नहीं हुए। बल्कि वह इसका मुकाबला कर रहे है। इससे विद्यार्थीयों का भी मनोबल बढ़ा है। उनको स्थिति से निराश ना होने का सन्देश मिल रहा है। उनको शिक्षण संस्थान सकारात्मक चिंतन की प्रेरणा दे रहे है,इसके लिए ऑनलाइन अनेक प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे है।

शिक्षाविदों तथा संस्थानों द्वारा समाज के लिए ज्ञान और विशेषज्ञता के स्रोत के रूप में कार्य किया जा रहा है। यह सही है कि कोरोना से संबंधित व्यवधान शिक्षकों को शिक्षा के सुधार के क्षेत्र में पुनर्विचार करने का समय दिया है। इसका सार्थक उपयोग भी किया जा रहा है। राज्यपाल ने स्वयं इसकी प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया में ऐसा कभी नहीं हुआ कि सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थान एक ही समय में और एक ही कारण से लॉकडाउन में गए हैं। कोरोना वायरस का प्रभाव दूरगामी होगा। शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घावधि में इसका क्या अभिप्राय हो सकता है, इस पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। इसी क्रम में भविष्य की शैक्षणिक आवश्यकताओं के अनुरूप विचार करना चाहिए। भविष्य की पीढ़ियों को शिक्षित बनाने  पर भी इस समय विचार किया जा सकता है। क्योंकि यह अभूतपूर्व स्थिति है। लॉक डाउन में जो समय मिला है,उसमें शिक्षक वर्तमान के साथ भविष्य की योजना पर भी विचार कर सकते है।

प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि चुनौती बड़ी है, लेकिन इससे ना थकना है, ना टूटना है,ना बिखरना है, बल्कि इसका मुकाबला करना है। रुकना नहीं है, आगे बढ़ते रहना है। राज्यपाल ने भी शिक्षा से जुड़े सभी लोगों से वर्तमान परिस्थिति के मुकाबले हेतु चिन्तन मनन  करने का आह्वान किया है। इस समय शिक्षाविद  विद्यार्थियों से ऑनलाइन संवाद बनाये हुए है। वर्तमान परिस्थिति के आंकलन व विश्लेषण का यह उचित अवसर है। नए रूप में अध्ययन की दशा एवं दिशा को तय करने का भी यह समय है। कुलाधिपति ने कहा कि  ज्ञान धारक के रूप में  शिक्षक की धारणा विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं है। वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता पर नए सिरे से विचार करना होगा। विशेष रूप से सीखने के चार स्तम्भों ज्ञानयोग, कर्मयोग, सहयोग और आत्मयोग का समन्वय करना होगा। तकनीकी कौशल सीखना अपरिहार्य हैं। फोन टेबलेट,लैपटॉप,कम्प्यूटर आदि का भी सार्थक उपयोग करना होगा।

इसलिए क्लास में  शिक्षाविद की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करना होगा। शिक्षा देने के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रयोग आवश्यक हो गया है। शैक्षणिक संस्थान उपलब्ध तकनीकी क्षमता व संसाधन का उपयोग कर रहे है। दूरस्थ शिक्षा सामग्री का विकास करना आवश्यक हो गया है। प्रत्येक छात्र तक शिक्षा पहुँच बनाना आवश्यक है। इसके लिए शिक्षाविदों को नयी सम्भावनाओं व माध्यमों पर विचार करना होगा। कोरोना संकट ने जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है। इसके फलस्वरूप जीवन के प्रति दृष्टिकोण में बहुत बड़ा बदलाव होगा। इसके लिए जीवन शैली में परिवर्तन भी अपरिहार्य हो  चुका है। कुलाधिपति ने जभवन से डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार कोविड नाइन्टीन  उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के नए आयाम विषय पर उपयोगी विचार व्यक्त किये। वर्तमान समय में इस प्रकार के अनेक बदलाव आवश्यक हो गए है। इनके माध्यम से शैक्षणिक कार्यो का संचालन करना संभव हो रहा है।

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