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नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल- 2022: बैंकॉक में आयोजन, विदेश राज्यमंत्री बतौर मुख्य अतिथि करेगे शिरकत

बैंकॉक में 29 से 31 जुलाई तक नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल 2022 का आयोजन होने जा रहा है जिसमे भारत के विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय द्वारा इस बात की जानकारी दी गयी है कि यात्रा के दौरान, विदेश राज्यमंत्री थाईलैंड के उप विदेश मंत्री के साथ भी मुलाकात करेंगे और दोनों देशों के बीच साझेदारी को और मजबूत करने के लिए चर्चा करेंगे। यह त्योहार थाईलैंड के साथ भारत के राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का प्रतीक है और फेस्टिवल का फोकस व्यापार, निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देने और संस्कृति, शिक्षा और लोगों से जुड़ने के क्षेत्र में आदान-प्रदान पर होगा। महोत्सव में मेघालय और नागालैंड के मुख्यमंत्री और अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के अन्य मंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल होंगे।

फेस्टिवल में व्यापार, निवेश, पर्यटन, शिक्षा और संस्कृति, को बढ़ावा देने पर रहेगा फोकस।

तीन दिन तक इन कार्यक्रमों का होगा आयोजन, सांस्कृतिक संबंध में आएगा निखार: तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन 29 जुलाई को बैंकॉक के होटल सेंटारा ग्रांड में होगा, एक प्रदर्शनी भी होगी जिसमे हस्तशिल्प, खाद्य पदार्थ, कृषि उत्पाद, हस्तशिल्प सहित विभिन्न क्षेत्रों के उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। 30 जुलाई को, एक ट्रेड मीट का आयोजन किया गया है, जो पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापार, पर्यटन और निवेश के अवसरों पर जागरूकता पैदा करेगी। 31 जुलाई को अकादमिक संगोष्ठी के दौरान उत्तर पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच ऐतिहासिक संबंध का पता लगाने के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा साथ ही भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) द्वारा प्रायोजित मंडलियां होंगी जो उत्तर पूर्व के सर्वश्रेष्ठ नृत्य रूपों को प्रस्तुत करेंगी।

2019 में हुआ था पहले उत्सव का आयोजन: सामाजिक-सांस्कृतिक ट्रस्ट ट्रेंड एमएमएस द्वारा आयोजित उत्सव का पहला संस्करण 2019 में आयोजित किया गया था जिसके कुछ महीने बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक का दौरा किया था और कहा था कि “भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और थाईलैंड की एक्ट वेस्ट पॉलिसी के हिस्से के रूप में भारत के उत्तर पूर्व को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।” बहरहाल इस महोत्सव से उत्तर पूर्वी राज्यों और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच व्यापार, संपर्क, पर्यटन, लोगों से लोगों के जुड़ाव, सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी

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