सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के साल 2010 के फैसले को सही बताते हुए बुधवार को चीफ जस्टिस के कार्यालय को भी आरटीआई के दायरे में लाने का निर्देश दिया है। अब सूचना के अधिकार के तहत आम जनता भी सुप्रीम कोर्ट से जानकारी मांग सकेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की निजता और स्वतंत्रता पर असर डालने वाली जानकारी किसी को नहीं दी जाएगी।
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना थे ने ये फैसला बुधवार को सुनाया था। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि पारदर्शिता न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर नहीं करती। इस मामले पर फैसला आने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल का कहना है कि कुछ मुद्दों पर अब भी अस्पष्टता है, जिसके चलते कोर्ट के अधिकारी जानकारी देने से इनकार कर सकते हैं। हालांकि ये आरटीआई डालने के बाद ही स्पष्ट होगा कि किन विषयों पर जानकारी मिल सकेगी।
RTI के तहत SC से कौन सी जानकारी मिलेगी और कौन सी नहीं –
- सुप्रीम कोर्ट के जजों की चल अचल संपत्ति से जुड़ी जानकारी ले सकते हैं आम नागरिक।
- हाई कोर्ट के जजों का चयन और नियुक्ति प्रक्रिया के तहत कोलेजियम के फैसलों की जानकारी भी हासिल की जा सकेगी।
- जजों की सीनियरटी और चीफ जस्टिस की नियुक्ति और उनके कार्यकाल की जानकारी।
- जजों के वरिष्ठता के क्रम में यदि बदलाव होता है तो इसकी जानकारी जनता को नहीं दी जाएगी।
- चीफ जस्टिस के साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या विधि और न्याय मंत्री के पत्राचार की जानकारी भी नहीं हालिस कर सकती आम जनता।
- आरटीआई एक्ट के नियम 8 (1) (J) के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाली जानकारी नहीं मिलेगी।
- मुख्य सूचना अधिकारी तय करेगा कि क्या सूचना दी जा सकती है क्या नहीं। इसके लिए न्यायपालिका की स्वायत्तता और गरिमा प्राथमिकता दी जाएगी और इन मामलों में आरटीआई का किसी भी प्रकार का प्रावधान काम नहीं आएगा।
- सूचना प्राप्त करने वाले नागरिक को सूचना जानने में छिपे जनहित के विषय में मुख्य सूचना अधिकारी को बताना होगा।
कोर्ट के इस फैसले को पारदर्शिता कायम रखने के लिए एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। हालांकि निकट भविष्य में निजता के हनन और सूचना के अधिकार इन दो नियमों के ऊपर इस पूरे निर्णय के परिणाम निर्भर करेंगे। क्योंकि ये पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की निजता और स्वतंत्रता पर असर डालने वाली जानकारी किसी को नहीं दी जाएगी।