रायबरेली। एनटीपीसी NTPC का धेय वाक्य है सुरक्षा और संरक्षा, लेकिन ऐश पॉन्ड से रात को होने वाली राख लोडिंग में इन दोनों ही बातों का पालन नही होता है। एक तरफ जहाँ रात में राख की लोडिंग होती तो है लेकिन लोडिंग में सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए घुप्प अंधेरे में ही कंपनियों द्वारा लोडिंग की जाती है। वही दूसरी तरफ पूरे ऐश पॉन्ड पर न तो एनटीपीसी द्वारा और न ही राख की लोडिंग करा रही कंपनियों द्वारा ही वहाँ प्रकाश की व्यवस्था की जाती है। जिसके चलते किसी भी दिन कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है।
सुरक्षा को लेकर न तो NTPC
सुरक्षा को लेकर न तो एनटीपीसी के जिम्मेदारों को कोई चिंता है न ही एनटीपीसी की सुरक्षा को देखने की जिम्मेदारी उठा रही सीआई एस एफ के अधिकारियों को इसकी फिक्र क्योकि जब सुरक्षा को लेकर कई सीआईएसएफ के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो इस पर कुछ भी कहने से इनकार करते हुए कहा कि जब तक एनटीपीसी के अधिकारी उनको वहाँ की सुरक्षा करने के लिए कोई पत्र नही जारी करते तब तक हमारे जवान वहाँ की सुरक्षा की जिम्मेदारी नही उठाएंगे।
सी आई एस एफ के अधिकारियों की बातों से तो ऐसा सन्देह लग रहा है कि अरखा ऐश पॉन्ड एनटीपीसी की संपत्ति है भी कि नही। जबकि ऐश पॉन्ड के में रास्ते पर ही सुरक्षा के लिहाज से एक कमरा बनाया गया है जो कि सी आई एस एफ के जवानों के लिए ही बना है। स्थानीय लोगो की माने तो पूर्व में यहाँ सुरक्षा के लिये कर्मचारी भी रहते थे। फिर अचानक क्या कि उनको यहाँ से हटा लिया गया।
उनको हटाने के बाद से ही ऐश पॉन्ड में कई लावारिश शव भी मिले। जिनको कहीं मारने के बाद यहाँ लाकर फेंक दिया गया और उनकी शिनाख्त आज तक नही हो पाई। जिसके चलते उनकी फाइलो पर ऊंचाहार पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा कर बन्द कर दिया। शायद एनटीपीसी के जिम्मेदारों को अभी किसी और बड़ी घटना या दुर्घटना का इंतजार है।