• जियो के 2,28,689 बीटीएस टावर्स के मुकाबले एयरटेल ने लगाए मात्र 52,223
नई दिल्ली। देश में 7जुलाई तक 5जी के कुल 2,81,948 बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) टावर लगाए गए हैं। इनमें से रिलायंस जियो ने अकेले ही 2,28,689 बीटीएस टावर लगाए हैं। जो भारत में लगे कुल 5जी टावर्स का 81 फीसदी से भी अधिक बैठता है। एयरटेल 5जी की रेस में बहुत पीछे छूट गई लगती है, वह अब तक मात्र 52,223 बीटीएस टावर ही लगा पाई है। संसद में उठे एक सवाल के जवाब में संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने यह जानकारी दी।
हमारी लापरवाही हमें संकट में डाल देती है!
सरकार ने संसद के पटल पर जिलेवार 5जी बेस ट्रासीवर स्टेशन्स की लिस्ट रखी। इस लिस्ट में भी रिलायंस जियो की बढ़त साफ नजर आती है। देश की राजधानी दिल्ली में जहां एयरटेल ने मात्र 2310 बीटीएस लगाए हैं वहीं रिलायंस जियो 8,204 बीटीएस टावर्स लगा चुका है। दिल्ली में अब तक कुल 10,532 5जी बीटीएस टावर्स लगाए जा चुके हैं। मुंबई में भी 5जी बीटीएस टावर्स की कुल तादाद अभी 5167 है, जिसमें से जियो ने 3953 और एयरटेल ने 1214 बीटीएस टावर्स लगाए हैं। देश के बाकी महानगरों का भी कमोबेश एयरटेल 5जी की रेस में पिछड़ा नजर आता है।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की हालात भी कोई जुदा नही है। 5जी के उत्तर प्रदेश में 7जुलाई तक लगे 28,876 बीटीएस टावर में से 23,527 रिलायंस जियो के नेटवर्क से जुड़े थे। एयरटेल 5,349 बीटीएस टावर्स ही लगा पाई थी। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगे 2.5 हजार 5जी बीटीएस टावर्स में से 2 हजार से ज्यादा रिलायंस जियो के हैं।
हरियाणा में अबतक 5जी के 11660 बीटीएस टावर लगे हैं, जिनमें से 9480 केवल रिलायंस जियो ने लगाए हैं। एयरटेल 2180 बीटीएस टावर ही लगा सका है। महेंद्रगढ़ जैसे जिले में तो एयरटेल ने अभी तक एक भी बीटीएस नही लगाया है। वहीं नूह और चरखी दादरी में उसका बस 1-1 बीटीएस टावर ही लगा है। यही हालात उत्तराखंड की भी है अल्मोड़ा बागेश्वर और चंपावत में एयरटेल ने अब तक एक भी 5जी बीटीएस टावर नही लगाया है।
आखिर क्यूं बरी हो जाते हैं गंभीर मामलों के दोषी?
संचार मंत्री ने बताया कि भारत ने स्वंय की 4जी व 5जी तकनीक विकसित कर ली है और भारत संचार निगम लिमिटेड में इसकी तैनाती शुरू भी हो गई है। दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना फरवरी 2021 को शुरू की गई थी। योजना के तहत कंपनियों ने मई 2023 तक 6911 करोड़ रु. का निर्यात किया है।