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2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता की कोशिशें तेज , नीतीश कुमार कई दलों के नेताओं के साथ…

2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता की कोशिशें तेज हो गईं हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को दिल्ली में कई दलों के नेताओं से मुलाकात की और सभी को एक मंच पर लाने की बात कही।

नीतीश कुमार ने देर शाम दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की। बाद में दोनों मीडिया के सामने भी आए और मोदी सरकार को हटाने के लिए एकजुटता की बात कही।

केजरीवाल ने साफ संकेत दिया कि उन्हें विपक्षी गठबंधन का साथ मंजूर है। हालांकि, कुछ महीने पहले ही उन्होंने नीतीश की इन कोशिशों पर तंज कसते हुए पूछा था कि ठेका किसने दिया ? ऐसे में सवाल उठ रहा है कि दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही ‘आप’ के मुखिया ने क्यों अपना रुख बदल लिया है?

केजरीवाल ने नीतीश कुमार के साथ मीडिया के सामने आकर कहा, ‘इस वक्त देश बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है। और जैसा कि मैंने कई बार बोला है कि शायद आजादी के बाद की सबसे भ्रष्ट सरकार आज देश के अंदर है। एक आम आदमी के लिए अपने घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है। इसलिए बहुत जरूरी है कि सभी विपक्ष और सारा देश एक साथ आकर केंद्र सरकार बदले।

एक ऐसी सरकार आनी चाहिए जो देश को विकास दे सके और लोगों को उनकी समस्याओं से मुक्ति दे सके। नीतीश जी ने पहल की है, सबको इकट्ठा कर रहे हैं। बहुत अच्छा कर रहे हैं। हम पूरी तरह इनके साथ हैं। जिस तरह वह सबको जोड़ रहे हैं, हम उनके साथ है।’ हालांकि, नीतीश कुमार की पीएम दावेदारी से जुड़े सवाल को उन्होंने टाल दिया और कहा कि आगे सभी सवालों के जवाब मिलेंगे।

केजरीवाल ने तब कहा था, ‘लोग विपक्षी एकता नहीं चाहते हैं, उम्मीद चाहते हैं। विपक्षी एकता का मतलब क्या है, सभी विपक्षी मिलकर आओ बीजेपी को हराते हैं। बीजेपी को हराने का ठेका आपने कैसे ले लिया? हम जनतंत्र में रहते हैं। बीजेपी को हराना है तो जनता हरा देगी। जिस दिन इन्होंने (जनता) ने ठान लिया कि बीजेपी को हराना है हरा देगी। आपको जनता को जाकर यह बताना है कि हमें वोट दो हम आपकी जिंदगी को इस तरह बदल देंगे। आपको उन्हें उम्मीद देनी है, रोडमैप देना है।’ उन्होंने कहा कि ‘चलो मिलकर बीजेपी को हराते हैं’ काम नहीं करने वाला है।

पिछले साल के अंत में जब नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ा और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद विपक्षी एकता की कोशिशें शुरू की तो केजरीवाल को यह रास नहीं आया था। नवंबर में हुए ‘हिन्दुस्तान लीडरशिप समिट’ में जब केजरीवाल से नीतीश की कोशिशों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने ‘विपक्षी एकता’ पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह काम नहीं करने वाला है। उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा को हराने का ठेका विपक्षी दलों ने कैसे ले लिया।

 

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