भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को एसएमई कंपनी ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज लि. की ओर से आईपीओ दस्तावेजों में किए गए खुलासे की विस्तृत जांच का फैसला किया। साथ ही, बीएसई को कंपनी के शेयर सूचीबद्ध करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दिया। सेबी की जांच 30 दिनों के भीतर पूरी हो जाएगी।
बाजार नियामक ने अपने अंतरिम आदेश में बीएसई से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आईपीओ से प्राप्त राशि को ब्याज वाले विशेष खाते में रखा जाए। ट्रैफिकसोल या उसके सहयोगियों को अगली सूचना तक यह रकम न दी जाए।
बीएसई ने निवेशकों की चिंताओं के बाद अपने एसएमई मंच पर ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज की सूचीबद्धता को स्थगित कर दिया था। सेबी का फैसला इसके करीब एक महीने बाद आया है। कंपनी के खिलाफ शिकायत मिली थी कि वह कथित तौर पर गलत दावे कर फर्जी कंपनियों के जरिये आईपीओ से मिली आय में हेराफेरी करना चाहती थी। ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज के 45 करोड़ रुपये के आईपीओ को 345 गुना से अधिक अभिदान मिला था, जिससे 10000 करोड़ रुपये से अधिक की बोलियां आकर्षित हुईं। 66 रुपये से 70 रुपये प्रति शेयर की कीमत वाला यह इश्यू 10 से 12 सितंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था।
कंपनी ने सॉफ्टवेयर खरीद, उधार के पुनर्भुगतान, कार्यशील पूंजी और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए धन का उपयोग करने की योजना के साथ धन जुटाया। इश्यू बंद होने और शेयरों के आवंटन के बाद, ट्रैफिकसोल के आईपीओ में विसंगतियों के संबंध में सेबी और बीएसई को कुछ शिकायतें प्राप्त हुईं। यह आरोप लगाया गया था कि ट्रैफिकसोल द्वारा चुना गया तृतीय-पक्ष विक्रेता अनुबंध को पूरा करने में असमर्थ था।