लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर पति-परिवार कल्याण समिति द्वारा – भारतीय पुरुषों पर अत्याचार और शून्य होता मानवाधिकार के ज्वलंत विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन डॉ. इंदु सुभाष की अध्यक्षता में प्रेस क्लब, लखनऊ में किया गया। इस अवसर पर डी के मोदी ,प्रोफेसर डी के गुप्ता ,प्रोफेसर असारी ,अमरजीत, राकेश गुप्ता , वाय पी सिंह ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता करते डॉ इंदु सुभाष पुरुषों की पीड़ा को समाज और सरकार के सामने लाने का प्रयास किया।
इस अवसर पर डाॅ. इंदु सुभाष ने बताया कि 70 साल पहले आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र असेम्बली में 48 देशों ने मानवाधिकारों की घोषणा की थी।”All Human Being are Born Free and Equal in Dignity & Rights”. उन्होंने घोषणा में स्वीकार किया था कि नागरिकता, निवास, जन्म,जाति, लिंग, धर्म, रंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता, सभी को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार, दासता से संरक्षण, नरसंहार पर प्रतिबन्ध, अभिव्यक्ति की स्वंत्रता और शिक्षा का अधिकार है। इस वर्ष मानवाधिकार दिवस को #standup4humanrights का स्लोगन दिया गया है। भारतीय संविधान में भी इन्हीं सिद्धांतों को अपनाया गया है। अनुच्छेद 14 के अनुसार कानून की दृष्टि में सभी नागरिक समान हैं, धर्म, जाति, लिंग व भाषा के आधार पर कोई विभेद नहीं किया जा सकता है, साथ ही साथ अनुच्छेद 15 के द्वारा समाज के कमजोर वर्गों महिलाओं, बच्चों और पिछड़ी जातियों को मुख्य धारा में लाने के लिये कमजोर वर्गों के लिये विशेष प्रवधान करने की इजाजत भी देता है।
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