किडनी हमारे शरीर का एक जरूरी अंग है, यह शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकाल कर रक्त शाेधन का कार्य करती है. इसलिए आवश्यक है कि इसे स्वास्थ्य वर्धक रखा जाए. किडनी की कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए खानपान के साथ कुछ योगासन किए जा सकते हैं. इनमें अद्र्ध भेकासन, पासासन और परिघासन ऐसे आसन हैं
ऐसे करें : पेट के बल लेट जाएं. हथेलियों को कंधों के बराबर रखकर शरीर के अग्र भाग को धीरे-धीरे ऊपर 45 डिग्री तक उठाएं. इसके बाद दाएं पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी कूल्हे पर लगाएं. फिर दाएं हाथ से दाएं पैर के पंजे को इस तरह पकड़ें कि पैर का अग्रिम भाग पकड़ में आए. क्षमतानुसार दबाव देते हुए पंजे को कूल्हे पर लगाएं.
इस दौरान खासकर कंधे और कोहनी ढीला छोड़ें. संतुलन बनाते हुए कुछ देर गहरी सांस लेने और छोडऩे की प्रक्रिया के बाद पैर छोड़ें. हथेली और पैर को वापस जमीन पर टिक पाएं. इसे बाईं तरफ से भी दोहराएं.
ध्यान रखें: शरीर के दोनों तरफ इस आसन की अवधि समान रखें. ब्लड प्रेशर, माइग्रेन या कमर से जुड़ी कोई सर्जरी हुई हो या कठिनाई हो तो इसे न करें.
परिघासन
ऐसे करें : दोनों घुटनों के बीच थोड़ी दूरी बनाते हुए इनके बल बैठ जाएं. अब दायां पैर दाईं ओर इस तरह फैलाएं कि पैर के तलवे जमीन पर व अंगुलियां दीवार की ओर हों. गहरी सांस लेते हुए बाएं हाथ को ऊपर उठाएं व दाएं हाथ को दाएं पैर पर रख दें. सांस छोड़ते हुए बायां हाथ दाईं ओर ले जाएं. सिर व शरीर का बाकी भाग भी दाईं ओर झुकने दें. इस अवस्था में 5-10 मिनट के लिए रुककर गहरी सांस लेते और छोड़ते रहें. अब सांस लेते हुए बायां हाथ सीधा करें. दाएं पैर के घुटने को मोड़कर बाएं घुटने के पास रखें. इस एक्सरसाइज को बाईं तरफ से भी दोहराएं.
ध्यान रखें: घुटने, पैर और कूल्हे के जोड़ या मांसपेशी में दर्द या कठिनाई महसूस होने पर न करें.
पासासन
ऐसे करें : गहरी सांस लेते हुए ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं. फिर घुटनों को मोड़ते हुए सारा वजन पैर पर रखते हुए बैठ जाएं. अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए घुटनों को हल्का सा बाएं व शरीर को दाईं ओर मोड़ें. इस दौरान ध्यान रखें कि शरीर का ऊपरी भाग दाईं जांघ को छुए. बायां हाथ ऊपर उठाएं व दाएं पैर के सामने की ओर लाएं. फिर दायां हाथ पीठ की तरफ से पीछे ले जाते हुए इससे बाईं हथेली पकडऩे की प्रयास करें. बाएं हाथ की मदद से शरीर को उलटी दिशा में घुमाने का कोशिश करें व सिर को दाईं ओर पीछे की तरफ घुमाएं. कंधे को घुटने की सीध में लाएं. कुछ समय के लिए इस मुद्रा में रुकने के बाद प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं. दूसरी तरफ से भी इसे दोहराएं.