पश्चिम बंगाल। कोलकाता शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक में प्लास्टिक सर्जरी विभाग का नेतृत्व कर रहे इस प्लास्टिक सर्जन ने फालुन दाफा की एक प्राचीन आध्यात्मिक प्रणाली में अपने जीवन का स्वास्थ और समजस्य का मार्ग पाया। डॉ. उत्पल कुमार बिट कहते हैं, मैं 62 साल का हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि मैं 40 वर्ष का हूँ। जबसे मैंने फालुन दाफा अभ्यास शुरू किया है, तबसे मैं थकान महसूस किए बिना लंबे समय तक चल सकता हूं। मेरे गंजे सर पर बहुत से नए बाल उग आए हैं। ये अदभुत है। मैं अब वास्तव में स्वस्थ और खुश हूँ।
विभिन्न प्रकार की असहनीय बीमारियों ने डॉ. बिट के जीवन को मुश्किल बना दिया था। उन्होंने वैकल्पिक उपचार और योग सहित कई इलाजों की कोशिश की, लेकिन किसी से भी मदद नहीं मिली। “मैं लगभग 33 वर्षों से पुरानी ब्रोन्कियल अस्थमा जैसी कई पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित था। मुझे धूल, परागकण, कपास, विभिन्न खाद्य पदार्थ, ठंडी हवा आदि जैसी अलग-अलग प्रकार की चीजों से एलर्जी थी। अपनी एलर्जी के कारण मुझे अक्सर गले में संक्रमण, सांस लेने की समस्याएं, त्वचा की समस्याएं आदि होती थीं।”
एलर्जी और अस्थमा ने उन्हें अक्षम कर दिया था। “तब तक मैं 15 साल से उच्च रक्तचाप और दोनों घुटने में दर्द से पीड़ित था, जो अस्थमा के इलाज के लिए स्टेरॉयड के उपयोग के कारण संभवतः ऑस्टियो-आर्थराइटिस से हुआ था — जब मैं चलता और सीढ़ियों का उपयोग करता। मुझे टेस्टिकुलर दर्द, दन्त संवेदनशीलता, डैंड्रफ़ इत्यादि भी थे। जीवन वास्तव में असहनीय था, और सामान्य रूप से काम करना लगभग असंभव था। मैं इनहेलर्स, एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार उपयोग, और सांस लेने के अभ्यास पर निर्भर था।”
वर्षों तक कष्ट झेलने के बाद अपनी बीमारियों को ठीक करने में असमर्थ होने के कारण, डॉ. बिट आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित हो गए थे। तब एक साथी डॉक्टर ने 2011 में डॉ. बिट को फालुन दाफा की प्राचीन ध्यान-प्रणाली से परिचित करवाया जिसमे पांच सौम्य अभ्यास और “सत्य, करुणा, सहनशीलता” के तीन सार्वभौमिक सिद्धांत शामिल हैं। उन्होंने बिना किसी देरी के इसका अभ्यास करना शुरू कर दिया।
डॉ. बिट ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है! मैं इसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। यह एक चमत्कार है। पहले दिन से ही, जब मैंने फालुन दाफा का अध्ययन करना शुरू किया और अभ्यास कर रहा था, तो मेरा अस्थमा जेसे मानो गायब हो गया, और मेरे एलर्जी के लक्षणों में उल्लेखनीय सुधार हुए। मैंने इनहेलर्स का उपयोग करना बंद कर दिया। मुझे जीवन की एक नई परिभाषा मिली।”
मेरे सहयोगी मेरे स्वास्थ्य सुधार से चकित थे, लेकिन उन्हें इस बारे में संदेह था कि कैसे एक आध्यात्मिक प्रणाली इतनी तेजी से उस चीज़ को ठीक कर सकती है जिसके विरुद्ध आधुनिक दवा जूझ रही थी। मैंने उनसे कहा कि अमरीकी बेलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन, ह्यूस्टन, ने 2005 में अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि फालुन दाफा अभ्यासिओं की सफेद रक्त कोशिकाओं (न्युट्रोफिल) का इन-विट्रो जीवन काल नियंत्रण समूहों की तुलना में 30 गुना अधिक था और वे बेहतर कार्यशील थे।”
पश्चिम बंगाल में दूसरों के साथ अपनी स्वास्थ यात्रा साझा करना चाहते हुए, डॉ बिट ने फालुन दाफा की दो पुस्तकें, ज़ुआन फालुन और फालुन गोंग का बंगाली भाषा में अनुवाद किया। यही नहीं, इस अभ्यास के सिद्धांतों को बेहतर ढंग से समझने के लिए डॉ. बिट ने एक कदम आगे बढ़कर चीनी भाषा भी सीखी। यदि आप भी इस अभ्यास को सीखने के इच्छुक हैं तो www.learnfalungong.in पर इसके नि:शुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर