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पीएम कहते हैं, आन्दोलित किसानों के बीच में एक फोन काॅल की दूरी है लेकिन आज तक फोन नंबर जारी नहीं किया : डाॅ. मसूद अहमद

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री लालकिला की प्राचीर से देश की तकदीर बदलने जैसा आकर्षक भाषण देने का प्रयास करते हुये “छोटे किसान देश की शान” कहकर किसानों की लगभग 70 प्रतिशत आबादी को वर्ग संघर्ष की आग में ढ़केलने की साजिष की है। किसान वर्ग को बड़े किसान और छोटे किसान में बांटना न्यायोचित नहीं है क्योंकि सभी किसान एक साथ एक दूसरे का सहयोग करते हुये अन्न उपजाने का काम करते हैं। प्रधानमंत्री का संदेश निश्चित रूप से वर्ग संघर्ष को जन्म देने वाला है और अग्रेजों की फूट डालो राज करो नीति का द्योतक है।

डाॅ. अहमद ने कहा कि किसान सम्मान निधि के रूप में इन्हीं छोटे किसानों को 6 हजार रूपये साल देेकर डीजल, पेट्रोल, बिजली तथा अन्य मंहगाई के माध्यम से 18000 रूपये वसूले जाते हैं और अब उन्हें ही देश की शान कहकर व्यंग किया जा रहा है। दिल्ली के बार्डरों पर साढे़ आठ महीनों से जो लाखों किसान आन्दोलित हैं उनमें बडे़ छोटे का कोई भेदभाव नहीं है। चूंकि देश के प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया है यही कारण है कि किसानों में फूट डालने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री यह कहते थे कि हमारे और आन्दोलित किसानों के बीच में एक फोन काॅल की दूरी है परन्तु खेद है कि आज तक वह फोन नंबर जारी नहीं किया गया जिससे किसान अपने प्रधानमंत्री से बात कर सके। संसद के किसी भी सदन में आन्दोलन में दिवंगत हुये हजारों किसानों के प्रति प्रधानमंत्री द्वारा संवेदना तक प्रकट नहीं की गयी।

रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और अग्रेंजों के शासन में कोई अंतर नहीं है दोनो की ही फूट डालो राज करों की नीति है। स्वतंत्रता आन्दोलन में भी भाजपा के विभिन्न संगठनों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अग्रेजों का ही साथ दिया था और आज भी भाजपा शासन में भारतवासी प्रताडि़त हो रहे हैं। समाज का युवा वर्ग व्यापारी वर्ग, छात्र वर्ग और किसान वर्ग तथा कर्मचारी वर्ग आदि सभी भाजपा शासन का दंश झेल रहे हैं केवल चंद पूजीपतियों के हितों की योजनाएं बनाना ही भाजपा शासन की पहचान हैं। अतः सरकार को चाहिए कि कोई भी ऐसी नीति प्रतिपादित न करे जिससे देश की एकता और अखण्डता पर आंच आये।

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