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प्रभु श्रीराम का जीवन अनुकरणीय और आचार संहिता : कौशल

• वरिष्ठ पत्रकार, संपादक नरेंद्र भदौरिया की पुस्तक ‘अनंत’ के लोकार्पण में बोले प्रांत प्रचारक

• श्रीराम ने की समाज में एक होकर एक-दूसरे के सुख-दुख को बांटने एवं समरसतापूर्ण व्यवहार की परिकल्पना

• 13 फरवरी, 2024 मंगलवार/फोटो सहित

लखनऊ। प्रभु श्रीराम का जीवन मानव मात्र के लिए आचार संहिता है। उनका पूरा परिवार त्याग की प्रतिमूर्ति है। इसी को आगे बढ़ाने के लिए श्रीराम चरित मानस पर चर्चा और इसका अनुकरण होना चाहिए।

मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने समाज में एक होकर एक-दूसरे के सुख-दुख को बांटने एवं समरसतापूर्ण व्यवहार की परिकल्पना की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल ने यह विचार मंगलवार को गोमतीनगर के सीएमएस स्कूल सभागार में हुई संगोष्ठी में व्यक्त किए। इस दौरान मंच ने वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र भदौरिया की पुस्तक अनंत के नाविन्य संस्करण का लोकार्पण किया।

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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के न्यासी डॉ अनिल मिश्रा ने विचार व्यक्त करते हुए नरेंद्र भदौरिया के लेखन को समाज के लिए संजीवनी कहा। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के लेखन से परिवारों में अध्ययन की नई लौ जागेगी। डॉ मिश्रा ने बताया किस प्रकार से अयोध्या में एक भव्य प्रांगण पर पुनः कार्य शुरू हुआ है और जिसे देखने देश-विदेश से श्रद्धालु प्रतिदिन उपस्थित हो रहे हैं।

प्रभु श्रीराम का जीवन अनुकरणीय और आचार संहिता : कौशल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रशासनिक सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी में अपने अनुभवों को साझा करते हुए अयोध्या में अंधकार से उजियारे की ओर समाज तथा परिवारों को ले जाने की इस मुहिम को अद्भुत बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी कि इस परिकल्पना को प्रत्येक व्यक्ति को अपनाना है ताकि सुख-दुख में सभी भागीदार बन सकें।

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लेखक नरेन्द्र भदौरिया की यह 14 वीं पुस्तक विभिन्न लेखों का संग्रह है, जिसमें देश तथा संस्कारों से संबंधित लेखन को संजोया गया है। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक नरेंद्र भदौरिया की पुस्तक अनंत के नाविन्य संस्करण का लोकार्पण हुआ। संगोष्ठी में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएन वर्मा, अपर महाधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ल, मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह, बार कौंसिल यूपी के सह अध्यक्ष प्रशांत सिंह अटल, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ विक्रम सिंह, चिंतक एवं विचारक वीरेंद्र ने विचार व्यक्त किए।

संगोष्ठी में प्रशांत भाटिया, ललित श्रीवास्तव, ऋषि जैन, विनय सिंह गहरवार, अलोपी शंकर मौर्य, कन्हैया लाल अग्रवाल, शिवांक रमन भदौरिया, अम्बरीष वर्मा, मृत्युंजय प्रताप सिंह, विभाग प्रचारक अनिल, तेजभान, शिवांक रमन, ऋषि राज जैन, ललित श्रीवास्तव, रुचि भदौरिया, शैलेंद्र सिंह राजावत, मनोज कुमार सिंह, प्रमोद श्रीवास्तव, श्रीवास्तव विनय सिंह, अनिल प्रताप, ज्योत्सना पाल, अमितेश सिंह, ज्योति प्रकाश, वरिष्ठ पत्रकार डॉ अतुल मोहन सिंह, राजीव शर्मा, मृतुन्जय सिंह, भूपाल सिंह, प्रफुल्ल यादव समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता, शिक्षक, व्यवसायी और विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए।

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शिक्षक नेता वेणु रंजन भदौरिया ने धन्यवाद देते हुए समाज को बांधे रखने के इस प्रकार के कार्यक्रमों को सराहनीय बताया। उन्होंने पुस्तक लेखन एवं अध्ययन के इस माध्यम को समाज के लिए वरदान बताया।

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