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राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल कृषि को लाभप्रद बनाने के संबन्ध में किसानों को जागरूक बनाती रही है। इतना ही नहीं उन्होंने इस जागरूकता कार्य में कृषि विषय के विद्यार्थियों को शामिल किया है। वह इन विद्यार्थियों को कृषि संबधी शोध व अनुसन्धान के लिए प्रेरित करती है। जिससे किसानों को लाभ मिले। इसके साथ ही उनका कहना रहा है कि विद्यार्थियों को गांव में जाना चाहिए।
उनको अपने कृषि संबन्धी तकनीकी ज्ञान से किसानों को लाभान्वित करना चाहिए। जिससे वह कम लागत में अधिक लाभ के प्रयास कर सकें। आनन्दी बेन पटेल ने चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के दीक्षांत समारोह में कृषि विकास संबन्धी विचार व्यक्त किये।
जैव संवर्धित प्रजाति
आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित,संवर्धित के समर्पित भाव से कार्य करना होगा। जैविक व प्राकृतिक तथा गौ आधारित खेती को बढ़ावा देना होगा। इस वर्ष विश्व खाद्य संगठन की पचहत्तरवीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ने देश की आठ फसलों को जैव संवर्धित प्रजातियों को समर्पित किया है। इनके उपभोग से देश में व्याप्त कुपोषण को सतत, सरल एवं स्थायी रूप से दूर किया जा सकता है। उन्होंने छात्र छात्राओं, युवाओं, वैज्ञानिकों से अपील है की कि वे अधिक से अधिक जैव संवर्धित प्रजातियों एवं तकनीकी विकास में अपना योगदान दें जिससे हम समर्थ भारत, आत्मनिर्भर भारत बना सकें।
व्यवसायिक कृषि विषेशज्ञ
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा और विज्ञान से ही देश समृद्ध हो सकता है। हर विद्यार्थी में प्रतिभा छुपी होती है। उसको पहचानने का कार्य शिक्षक करते हैं। अतः शिक्षक विद्यार्थी में छुपी हुई प्रतिभा को पहचानने और विकसित करने का कार्य करें, जिससे विद्यार्थी स्वयं अपने तथा देश एवं समाज के विकास के लिये औपचारिक शिक्षा और प्रतिभा का उपयोग कर सकें। क्षेत्रीय समस्याओं के अनुरूप तकनीक के उपयोग के माध्यम से कृषकों की समस्याओं का कौशलपूर्ण समाधान किया जाए,जिससे कृषि उत्पादन वृद्धि में निरन्तरता तथा टिकाऊपन सम्भव हो सके। उन्होंने कहा कि कृषि छात्र।छात्रायें यहां प्राप्त ज्ञान विज्ञान के माध्यम से किसानों के विकास में नये नये नवाचार के माध्यम से महती भूमिका निभायें। कृषि शिक्षा प्रणाली में निरन्तर बदलाव की आवश्यकता है। आनन्दी बेन ने कहा कि छात्र मात्र डिग्री धारक नही वरन् व्यवसायिक कृषि विषेशज्ञ की तरह तैयार किये जायें,जिससे कि विद्यार्थी वर्तमान एवं भविष्य में आने वाली विषम परिस्थितियों का मुकाबला करने में अपने को सक्षम सिद्ध कर सकें।
पर ड्राॅप मोर क्राॅप
आनंदीबेन पटेल ने विश्व जल दिवस पर चर्चा करते हुये कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा हर एक को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने और हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के साथ ‘पर ड्राॅप मोर क्राॅप’ जैसे अभियान शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आज ‘गांव का पानी गांव में’ जैसे नारे जल संरक्षण में लगे लोगों की जुबान पर चढ़ गए हैं। बरसात के पानी के संरक्षण से ही हम भूजल के स्तर को ऊपर ला सकते हैं। इसके लिए हमें ‘कैच द रेन’ अभियान चलाना होगा। हमें ऐसी प्रजातियाँ विकसित करनी होंगी जो कम जल खपत मे अधिक उत्पादन दे सकें। उन्होने कहा कि भूजल की गुणवत्ता को भी बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
महिला सशक्तीकरण
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में आगे आ रही हैं। इससे महिला सशक्तीकरण को बल मिल रहा है। आज का दीक्षांत समारोह थीम ‘नारी सशक्तीकरण एवं आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के लिये समर्पित है। आज लड़कियां भी लड़कों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है और अभिभावक भी उनका साथ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी महिला तब तक समाज के विकास में पूर्ण योगदान नहीं दे सकती जब तक वह स्वयं शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ्य नहीं होंगी। अतः महिलाओं में कुपोषण, एनीमिया, स्वास्थ्य शिशु जन्म दर पर भी ध्यान देना चाहिए।