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भारत में शिक्षण संस्थानों का संचालन कर चुके रैफल्स एजुकेशन ग्रुप की सिंगापुर और भारत में आर्थिक अपराधों की जांच शुरू

गुरुग्राम। भारत में अनेक डिज़ाइन और तकनीकी संस्थान चलाने वाले सिंगापुर के रैफल्स ऐजुकेशन ग्रुप को बीते हफ्ते CAD (भारत की आर्थिक अपराध शाखा के समकक्ष) के तहत डाल दिया गया है। भारत में अपने साझेदारों के साथ इस ग्रुप का विवाद हो गया था। गौरतलब यह भी है की नवंबर 2019 से रैफल्स ऐजुकेशन कॉर्पोरेशन पर भारत में आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जांच की जा रही है। सिंगापुर में अपने शेयरधारकों से यह तथ्य कंपनी ने अब तक छुपा रखा है। भारत में रैफल्स ऐजुकेशन ग्रुप का अतीत दागदार रहा है, इन्होंने आपराधिक तरीकों का इस्तेमाल करते हुए अपने भारतीय साझीदारों को अलग करने की कोशिश की थी।

लर्निंग लीडरशिप फाउंडेशन (LLF) ने नवंबर 2019 में आर्थिक अपराध शाखा, दिल्ली में एक एफआईआर दर्ज कराई थी जिसमें कहा गया था की रैफल्स ऐजुकेशन कॉर्पोरेशन (REC) ने LLF के जाली दस्तावेज़ जमा कराए थे ताकी वे अपने भारतीय साझीदार ऐजुकॉम्प सॉल्यूशंस को बदनाम कर सके; रैफल्स ने पीएमओ, कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय आदि विभागों में ये जाली दस्तावेज दिए थे। LLF के अनुसार रैफल्स ऐजुकेशन कॉर्पोरेशन के निदेशकों च्यू हुआ सेंग और च्यू हान वेइ ने जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया जिनमें LLF की गलत खात-बही भी शामिल थी।

 

रैफल्स के निदेशकों का इरादा अपने भारतीय साझेदार शांतनु प्रकाश को प्रताड़ित करना था जो उस वक्त  LLF के ट्रस्टी थे ताकी शांतनु जय राधा रमण ऐजुकेशन सोसाइटी  (JRRES)  के अध्यक्ष का पद छोड़ दें।

JRRES एक शिक्षण संस्था है जो ग्रेटर नोएडा, उ.प्र. में जेआरई स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग और जेआरई स्कूल ऑफ मैनेजमेंट नामक दो शिक्षण संस्थान चलाया करती थी। रैफल्स ऐजुकेशन कॉर्पोरेशन पर यह आरोप है की उसने निर्लाभकारी शिक्षण संस्था JRRES का अधिग्रहण करके भारतीय कानून का उल्लंघन किया है। JRRES शिक्षण संस्थान चला रही थी जबकी रैफल्स एक निवेशक थी – यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और भारत के शिक्षा कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है। प्रवक्ता ने इस खबर पर कहा, “हमने हमेशा कहा की रैफल्स ऐजुकेशन ने JRRES को हासिल करने के लिए हम पर झूठे आरोप लगाए हैं। रैफल्स ऐजुकेशन की हरकतों की वजह से वे शिक्षण संस्थान बंद हो गए, जिससे हमारे विद्यार्थियों का नुकसान हुआ तथा सिंगापुर/ चीनी कंपनी द्वारा एक धर्मार्थ संस्था का अधिग्रहण कर लिया गया जो की पूरी तरह राष्ट्र हित के विरुद्ध है। आर्थिक अपराध शाखा की जांच से हमारी बात सही साबित हुई की रैफल्स ने हमें फंसाने के लिए जाली दस्तावेज़ जमा कराए थे। आज, हमें संतुष्टि है की सच सामने आ गया है। यह चिंता की बात है की चीन से संबंध रखने वाली रैफल्स जैसी कंपनियां भारतीय कानूनों को धोखा देकर देश में प्रवेश करने का प्रयास कर रही हैं।”

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