लखनऊ। भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण Ravana की 15 माह जेल में रहने के बाद गुरुवार की देर रात रिहा हो गया है। इस रिहाई को सियासी गलियारों में खासा अहम माना जा रहा है। यह रिहाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सियासी समीकरण को भी बदलेगी। चंद्रशेखर रिहाई के साथ गुजरात के दलित नेता जिगनेश मेवाणी की सक्रियता भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़ेगी ।
चंद्रशेखर आजाद उर्फ Ravana के रूप में
चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण Ravana के रूप में दलितों का नया नेतृत्व मिलेगा। रावण को साथ लेने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई बड़े नेता भी लगातार प्रयासरत रहे हैं, लेकिन जेल में उनकी मुलाकात नहीं हो सकी थी। अब जेल से रिहा होने के बाद रावण किसको अपने साथ लेता है और किसको नहीं, इसी पर सभी सियासी दलों के रणनीतिकारों की निगाहें लगी हैं।
भीम आर्मी भारत एकता मिशन यह है इस संगठन का पूरा नाम है। इसका गठन 2014 में चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने किया था।
यह संगठन सबसे पहले अप्रैल 2016 में तब चर्चाओं में आया जब गांव घड़कौली में एक बोर्ड को लेकर जातीय संघर्ष हो गया था। इस संघर्ष में खासा हंगामा हुआ था। इसके बाद भी संगठन ने एक समाज के लोगों की समस्याओं को उठाते हुए कई बार प्रदर्शन किए, लेकिन तब तक इसकी कोई विशेष पहचान नहीं थी।
9 मई 2017 को सहारनपुर में हुई हिंसा और शब्बीरपुर प्रकरण के बाद इस संगठन का नाम सभी की जुबां पर चढ़ गया। इसी हिंसा के मामले में 8 जून 2017 को रावण की गिरफ्तारी हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से की गई थी, वह तभी से जेल में है। उस पर रासुका भी लगी थी और उसकी रासुका की अवधि 2 नवंबर को पूरी हो रही थी। लेकिन करीब डेढ़ माह पहले अब सरकार उसकी रिहाई करने जा रही है। उसकी रिहाई को सियासत में खासा अहम माना जा रहा है।