दौसा। क्षेत्रीय और जातिवादी पार्टियों का इतिहास भाजपा और संघ को मदद पहुँचाने का रहा है. सपा, बसपा हो या आम आदमी पार्टी ये भाजपा के सुरक्षा कवच के बतौर काम करती हैं. ये बातें उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने स्पीक अप कार्यक्रम की 76 वीं कड़ी में कहीं.
फीफा की क्लोजिंग सेरेमनी में नोरा के अलावा चलेगा इन सितारों का जादू
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि गांधी जी की हत्या के बाद जो संघ परिवार सामाजिक अछूत बन गया था उसे गैर कांग्रेसवाद के नाम पर सोशलिस्ट पार्टियों ने 1977 में मुख्यधारा में ला दिया. ये पूरी राजनीतिक धारा मुस्लिम विरोधी रही है और पूरा षड्यंत्र ही बिहार के कांग्रेसी मुस्लिम मुख्यमन्त्री अब्दुल गफूर खान को हटाने के लिए थी.
उन्होंने कहा कि फ़र्ज़ी बोफोर्स कांड के नाम पर 1988 में हुए इलाहाबाद उपचुनाव में भी कांशीराम और वीपी सिंह दोनों का ही पूरा चुनावी मैनेजमेंट एक वरिष्ठ भाजपा नेता के घर से संचालित हुआ था. इसके बाद अगले साल हुए चुनावों के बाद कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के नाम पर जनता दल की वीपी सिंह सरकार को भाजपा ने समर्थन दिया और भाजपा फिर से मुख्यधारा में आ गयी. इसी से निकले मुलायम सिंह यादव जी ने तो संसद में मोदी जी के दुबारा प्रधानमन्त्री बनने तक की कामना कर दी थी.
इसीतरह अन्ना आंदोलन को संघ ने खड़ा किया जिसके राजनीतिक वारिस केजरीवाल ने अपने को विचारधाराविहीन पार्टी बताया और अब खुलकर हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह पूरा षड्यंत्र मुसलमानों को कांग्रेस से दूर करने के लिए रची जाती है ताकि उनका वोट बंट जाए. इसलिए मुसलमानों को ऐसी पार्टियों से अब मुकम्मल दूरी बना लेनी चाहिए और कांग्रेस के साथ आकर देश और संविधान की रक्षा करनी चाहिए.