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रिलायंस जियो को मिली NCLAT से राहत

दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो को बड़ी राहत देते हुए राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कंपनी को अपने फाइबर और टावर कारोबार को अलग करने की अनुमति दे दी है। आयकर विभाग ने कंपनी की योजना को एनसीएलएटी में चुनौती दी थी, जिसको खारिज कर दिया गया है। आयकर विभाग ने इस बारे में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की ओर से दी गई मंजूरी पर आपत्ति जताई थी। एनसीएलटी की अहमदाबाद पीठ ने इससे पहले इसी साल एक कंपोजिट व्यवस्था को मंजूरी दी थी जिसके तहत दो कंपनियों–जियो डिजिटल फाइबर प्राइवेट लिमिटेड और रिलायंस जियो इन्फ्राटेल प्राइवेट लिमिटेड में अलग-अलग किया जाना था। आयकर विभाग ने कंपनी की इस योजना का विरोध करते हुए एनसीएलएटी में याचिका दायर की थी।

आयकर विभाग की दलील थी कि इस व्यवस्था के तहत स्थानांतरण करने वाली कंपनी रिलायंस जियो इंफोकॉम अपने तरजीही शेयरों को ऋण में बदलना चाहती है।आयकर विभाग ने कहा कि इक्विटी को ऋण में बदलना कंपनी कानून के सिद्धान्तों के खिलाफ है और इससे कंपनी का मुनाफा भी घट जाएगा जिससे विभाग को राजस्व का भारी नुकसान होगा।

हालांकि, एनसीएलएटी ने आयकर विभाग की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि इससे कंपनी की कर देनदारी घटेगी, उसकी इस योजना की वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती। एनसीएलएटी ने कहा कि एनसीएलटी पहले ही इस मामले पर गौर कर चुका है।

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