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श्री गुरु गोबिन्द सिंह के चारो साहिबजादों एवं माता गुजर कौर के शहीदी दिवस पर याद किया गया “सूरा सो पहचानियै लरै दीन के हेत। पुरजा-पुरजा कट मरे कबहु न छाडै़ खेत”

लखनऊ। माता गुजरी सत्संग सभा की ओर से आज 22 दिसम्बर को सरबंसदानी साहिब श्री गुरू गोबिन्द सिंह महाराज के चारो साहिबजादों (साहिब अजीत सिंह, साहिब जुझार सिंह, साहिब जोरावर सिंह, साहिब फतहि सिंह) एवं उनकी माता, माता गुजर कौर का शहीदी दिवस ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री नानक देव जी नाका हिन्डोला लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।

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इस अवसर पर प्रातः सुखमनी साहिब के पाठ से दीवान का आरम्भ हुआ, तत्पश्चात हजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने पवित्र आसा दी वार का शबद कीर्तन गायन द्वारा समूह संगत को निहाल किया।

10 दिसम्बर को शहीदी दिवस को समर्पित रखे गये सहज पाठ की समाप्ति के उपरान्त मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी संच्चा सिंह पटियाला वालों ने सरबंसदानी साहिब श्री गुरू गोबिन्द सिंह महाराज के चारो साहिबजादों एवं उनकी माता, माता गुजर कौर का शहीदी दिवस पर कथा व्याख्यान करते हुए कहा कि चमकौर की गढ़ी में श्री गुरू गोबिन्द सिंह के बडे़ साहिबजादे बाबा अजीत सिंह एवं बाबा जुझार सिंह ने 10 लाख मुगल फौज का सामना करते हुए शहादत प्राप्त की और श्री गुरू गोबिन्द सिंह के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह एवं बाबा फतहि सिंह ने जब इस्लाम नहीं कबूल किया तो उन्हें सरहंद के नवाब ने सरहंद में ही जिन्दा नींव में चुनवा कर शहीद कर दिया।

यह ऐतिहासिक घटना दिसम्बर माह में 1704 को हुई थी। पोतों की शहादत के बाद माता गुजर कौर जी ने भी अपने प्राण त्याग दिये। सुखमनी साहिब सेवा सोसाइटी के सदस्यों ने “मित्तर प्यारे नूँ हाल मुरीदां दा कहना” सिमरन साधना परिवार के बच्चों ने “सूरा सो पहचानिअै लरै दीन के हेत। पुरजा-पुरजा कट मरे कबहु न छाडै़ खेत।” शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को भाव विभोर किया। रागी जत्था भाई चमनजीत सिंह लाल दिल्ली वालों ने “गुर किरपा जिह नर कउ कीनी तिह इह जुगति पछानी।।” शबद कीर्तन गायन कर साध संगत को निहाल किया।

भाई इन्दरजीत सिंह जी सादिक जी अमुतसर वालों ने “साच कहों सुन लहो सभै जिन प्रेम कीओ तिन ही प्रभु पाइयो।।” शबद कीर्तन गायन किया। भाई गुरमीत सिंह जी ऊना साहिब वालों ने गुरबाणी कीर्तन “पहिला मरणु कबूलि जीवन को छड़ि आस, होहु समना की रेणुका तउ आउ हमारे पासि।।” गायन कर समूह संगत को निहाल किया। दिन भर गुरबाणी कीर्तन तथा गुरमत विचारों का कार्यक्रम चला जिसका संचालन सरदार सतपाल सिंह मीत ने किया।

दीवान की समाप्ति के उपरान्त लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा ने चारो साहिब जादों एवं माता गुजर कौर की शहादत को एक बड़ी शहादत कहा और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। समागम मै महत्वपूर्ण योगदान के लिए पंजाबी महासभा के अनिल वर्मानी, राजकुमार बत्रा, पवन मनोचा और सुरेश तेजवानी का हार्दिक आभार प्रकट किया। समागम में लंगर के वितरण की सेवा हरमिन्दर सिंह टीटू एवं कुलदीप सिंह सलूजा, इंदरजीत सिंह की देखरेख में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा की गयी। जोड़ा घर में जूते-चप्पल की सेवा सिक्ख सेवक जत्थे के राजवन्त सिंह बग्गा, कुलवन्त सिंह तथा अन्य सदस्यों द्वारा की गई।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी।

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