लखनऊ। अमृत महोत्सव के तहत विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज ने आज बिरसा मुंडा के शहीदी दिवस के अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन कॉलेज की प्राचार्य डॉ. धर्म कौर ने किया।
उन्होंने कहा कि बिरसा ने पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता और शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने पारंपरिक मान्यताओं को त्याग दिया और जाति व्यवस्था का विरोध किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. उषा थीं। उन्होंने बिरसा मुंडा के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वह पिता सुगना मुंडा के पुत्र थे और मुंडा जनजाति के निषाद परिवार से संबंधित मां कर्मी मुंडैन का जन्म 15 नवंबर, 1875 को झारखंड के खूटी जिले के उलिहातु गांव में हुआ था।
बिरसा को अंग्रेजों ने 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर के जामकोपई जंगल से गिरफ्तार किया था। 9 जून 1900 को बिरसा ने अंतिम सांस ली। बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में आज भी बिरसा मुंडा को भगवान के रूप में पूजा जाता है। अंग्रेज उससे बहुत डरते थे।
कार्यक्रम में डॉ. अमित वर्धन, डॉ. ध्रुव कुमार त्रिपाठी, डॉ. आलोक भारद्वाज डॉ. ममता भटनागर, डॉ. नरेंद्र सिंह, शहादत हुसैन, डॉ. ऋषभ कुमार आदि सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे कार्यक्रम का समापन शहादत हुसैन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।