भारतीय राजनीति और भाजपा के इतिहास में कल्याण सिंह का सदैव महत्वपूर्ण स्थान रहेगा। उत्तर प्रदेश में उनके ही नेतृत्व में भाजपा को पहली बार सरकार बनाने का अवसर मिला। वह श्री राम जन्म भूमि मंदिर आंदोलन के नायक थे। उनका कहना था कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए वह सैकड़ों सरकारों को ठुकरा सकते है।
उन्होंने ऐसा किया भी था। बाबरी ढांचा विध्वंस के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दिया। उन्होंने कहा था कि यदि ढांचा वहां रहता तो इस समस्या का समाधान कभी नहीं होता। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि जन्मभूमि पर मंदिर तो बन गया है। इसको भव्य रूप में निर्मित करना शेष है। उनके जीवन काल में ही भव्य मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन हुआ था। अस्वस्थता के कारण वह वर्चुअल माध्यम से भूमि पूजन में सहभागी भी हुए थे।
उनके निधन पर लगातार दो दिन तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्राम नहीं किया था। वह व्यवस्था में लगे रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को निरस्त करके उन्हें श्रद्धांजलि देने लखनऊ आये थे। लखनऊ में ही उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतन्त्र देव सिंह,उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य,डॉ दिनेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में लोगों ने कल्याण सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने समाज एवं राष्ट्रसेवा का व्रत लिया था। जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन प्रतिबद्धता, दृढ़ता एवं समर्पण भाव से किया।
उसी का परिणाम है कि वे आज हमारे पास भौतिक रूप से नहीं हैं,लेकिन उनकी स्मृतियां, उनके कृतित्व देश व प्रदेशवासियों के सामने हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि वह संगठन की ताकत और सरकार के दायित्व के मूल्यों को पिरोकर राजनीतिक जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व एवं निर्णय के द्वारा प्रशासक के रूप में अपने दायित्वों को संभाला।