लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में दिशा निर्देशों के अनुरूप गणतंत्र दिवस मनाया गया। भारत के 73 वें गणतंत्र दिवस पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने ध्वज फहराया। उन्होंने कहा कि विविधता के बाबजूद भी एक सुंदर भारत के निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता हमें एक करती है।
उन्होंने संविधान की संरचना में शामिल 192 विद्वानों और 15 विदुषियों का नमन किया। साथ ही सभी जड़ता पूर्ण बंधनों से आजाद होकर अपनी शक्ति और ऊर्जा से विश्व को आलोकित करने का संकल्प लेने का आह्वान किया।
उन्होंने विगत दो वर्षों में इस संकल्प के प्रति लखनऊ विश्वविद्यालय में की गई विभिन्न संकल्पनाओं के विषय में जानकारी दी। नई शिक्षा नीति और उसके द्वारा दी जा रही भारत की संस्कृति के पूर्ण पठन और पूर्ण मूल्यांकन पर ज़ोर का उल्लेख करते हुए कुलपति ने बताया कि किस तरह विभिन्न विभागों एवं विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति के विद्वानों व उनकी रचनाओं के पूर्ण पाठ को सम्मिलित कर इस विश्वविद्यालय ने देश की परंपरा व इतिहास की तरफ अपना कर्तव्य पूरा करने की ओर कदम उठाए हैं।
केवल प्रदेश का ही नहीं लेकिन पूरे भारत में नई शिक्षा नीति के अनुपालन में विश्वविद्यालय ने नेतृत्व का भार उठाया है। कोरोना जैसी महामारी का सामना करते हुए विश्वविद्यालय के छात्रों को बराबर उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान करते रहने के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा अधिकाधिक मात्रा में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग सराहनीय रहा है।
गति सटीकता और पारदर्शिता पर आधारित विश्वविद्यालय की नई कर्म व्यवस्था छात्र हित का कारक बनकर भारत के सामने उदाहरण के रूप में खड़ी हुई। उन्होंने यह भी बताया कि इस कठिन समय में छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहयोग एवं सांस्कृतिक रचनात्मक मंचों का वास्तविक और आभासी प्रयत्न भी हमारे विद्यार्थियों व अध्यापकों की सार्थक उपलब्धि है।
उन्होंने छात्र और संस्था हित में स्वयं से लेकर विश्वविद्यालय के प्रत्येक सफाई कर्मी तक के संकल्प का स्मरण किया। यह विश्वास जताया की एक समावेशी समता मूलक मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत समाज बनाने हेतु लखनऊ विश्वविद्यालय सदैव अपना योगदान देता रहेगा।