राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब महज कुछ ही महीनों का समय बचा है। नेतृत्व परिवर्तन की जो अटकलें लगाई जा रही थीं, वह अब जमीन पर उतरती नहीं दिख रही हैं।
एक टीवी चैनल से इंटरव्यू के दौरान अशोक गहलोत ने कहा कि मैं रिटायरमेंट अंतिम सांस तक नहीं लूंगा। 50 साल राजनीति में हो गए हैं। 20 साल की उम्र थी, जब राजनीति में आ गया था। तभी से पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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इतने साल बीत गए। सोनिया गांधी ने विश्वास करके मुझे राजस्थान का सीएम बनाया तो कुछ सोचकर ही बनाया होगा। इसके अलावा गहलोत ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी का भी जिक्र किया। रिटायरमेंट को लेकर गहलोत का बयान पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के लिए झटका माना जा रहा है।
सियासी गलियारें में अटकलें थीं कि अशोक गहलोत का यह आखिरी टर्म हो सकता है। अशोक गहलोत की गिनती सोनिया गांधी के करीबी नेताओं में होती थी। पिछले साल जब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव हुए तो गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनाने की बात हुई, लेकिन गहलोत मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं हुए।
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ऐसे में राजस्थान में काफी बवाल हुआ और विधायकों ने इस्तीफे तक स्पीकर को सौंप दिए। सूत्रों के अनुसार, इस वजह से राहुल और प्रियंका गांधी अपने करीबी सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनवा सके। बाद में अटकलें लगने लगीं कि गहलोत का यह आखिरी टर्म हो सकता है, जिसके बाद सचिन पायलट को राजस्थान में कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है।
माना जा रहा है कि अशोक गहलोत को कांग्रेस आलाकमान से जीवनदान मिल गया है और वे ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। पिछले साल सितंबर महीने में गहलोत के करीबियों की बगावत के बाद शुरू हुए घटनाक्रम में लगने लगा था कि सचिन पायलट को कमान सौंपी जा सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
गहलोत और पायलट के बीच सालों से 36 का आंकड़ा रहा है। अब मुख्यमंत्री के रिटायरमेंट प्लान को लेकर दिए एक बयान ने पायलट की मुश्किलें और चिंताएं बढ़ा दी हैं। दरअसल, राजस्थान का बजट पेश करने के बाद अशोक गहलोत ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह रिटायरमेंट तो अंतिम सांस तक नहीं लेंगे। इसके बाद से सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या सचिन पायलट का राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का सपना आने वाले कुछ सालों में पूरा हो सकेगा या नहीं।