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भारत की आत्मा है सनातन संस्कृति

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि सनातन संस्कृति भारत की आत्मा है। संस्कृत एक भाषा ही नही अपितु भारतीय सभ्यता की जड़ है। समस्त प्राचीन भारतीय भाषाओं की पोशिका भी है। संस्कृत विद्या का लक्ष्य केवल जीविकोपार्जन न होकर बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के विकास का होना चाहियें। आज संस्कृत भाषा को लेकर जागरूकता आयी है। इस भाषा के माध्यम से प्राचीन विरासत को सहेज कर नई पीढ़ी को देना चाहिये जो कि भावी पीढ़ी का हक भी है। भारत को विश्व गुरु बनाने में इस संस्था का बहुत बड़ा योगदान है।

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राज्यपाल की अध्यक्षता में आज संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी का दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि आज संस्कृत भाषा में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है इसका प्रमुख कारण उनकी सोच बदल रही है। महिलायें जब शिक्षित होगी तब सभी बुराइयों को खत्म करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने रामायण के एक प्रसंग के माध्यम से माँ की चर्चा करते हुए कहा कि माँ के आदेश का पालन हम सभी को करना चाहिये क्योंकि मॉ जो आदेश देती है वह कभी गलत नहीं होता। वृद्धाश्रम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि क्या हम वास्तव में जो शिक्षा प्राप्त कर रहे है उसका उपयोग करते है या नहीं, अगर उस शिक्षा का सही उपयोग होता तो आज समाज में इतने वृद्धाश्रम नही होते। राज्यपाल ने कहा कि अगले पच्चीस वर्ष भारत को आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें युवाओं को अपना योगदान देना होगा।

भारत की आत्मा है सनातन संस्कृति

उन्होंने महर्षि भारद्वाज के द्वारा प्राचीन समय में किए गए अविष्कारों को सामने रखते हुए भारत की प्राचीन जानकारी को सभी के समक्ष रखते हुए भारत की प्राचीनतम उपलब्धियां को बताया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में वेदों के विकास हेतु सौ करोड़ का प्रावधान किया है, जिसका हम सभी को प्रोजेक्ट बनाकर फायदा लेना चाहिए। उन्होंने अन्त में प्रधानमंत्री के पांच प्रण को दोहराया जिसमें आत्मनिर्भर भारत, गुलामी की मानसिकता से निकलना, देश की विरासत को सुदृढ़ करना, भारत की एकता बनाए रखने तथा देश को आगे बढ़ाने में अपनी उपयोगिता देना।उन्होंने छात्र-छात्राओं से अपने माता-पिता की सेवा करने के लिये सीख दी।

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राज्यपाल ने कलश में जलधारा अर्पण कर जल संरक्षण के संदेश के साथ दीक्षांत समारोह का शुभारंभ किया। सफल विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। समारोह के दौरान राज्यपाल की उपस्थिति में विश्वविद्यालय द्वारा 14079 डिग्रियों को डिजिलॉकर में अपलोड किया गया। विश्वविद्यालय ने उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों की कुल 158063 डिग्रियों को डिजिलॉकर में अपलोड किया। समारोह में राज्यपाल ने आंगनबाड़ी केंद्रों को सुसज्जित करने हेतु आँगनवाड़ी कार्यकत्रियों को उपयोगी सामग्री की किट तथा संस्कृत विद्यालय के छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन सामग्री प्रदान की। ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र लैब उद्घाटन किया।

दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि संस्कृत केवल भाषा नहीं अपितु हमारे गौरवपूर्ण इतिहास की साक्षी है तथा भारतीयों के लिये ऊर्जा स्रोत है।प्राच्य विद्या निहित ऋषियों का संदेश कष्ट मुक्त, सात्विक तथा विकासशील समाज का निर्माण करता है।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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