दूरसंचार क्षेत्र के दिग्गज सुनील भारती मित्तल (Sunil Bharti Mittal) ने भी मंगलवार को इस बात की वकालत की कि उपग्रह कंपनियों को लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने के साथ-साथ अपनी दूरसंचार सेवाओं के लिए ‘एयरवेव’ (Airwave) खरीदना चाहिए जैसा कि पुरानी कंपनियां करती हैं, ताकि इस क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध हो सके।
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इससे पहले, मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने पिछले हफ्ते दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखकर दूरसंचार नियामक ट्राई की इस सिफारिश का विरोध किया था कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड को नीलाम न करके, आवंटित किया जाए।भारत की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के प्रमुख मित्तल ने ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में कहा कि मौजूदा दूरसंचार कंपनियां उपग्रह सेवाओं को सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचा रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में मित्तल ने कहा, ‘‘और जो उपग्रह कंपनियां शहरी क्षेत्रों में आकर खुदरा ग्राहकों को सेवा देने की महत्वाकांक्षा रखती हैं, उन्हें भी बाकी लोगों की तरह दूरसंचार लाइसेंस के लिए भुगतान करना चाहिए। उन पर भी समान शर्ते लागू होनी चाहिए।’’
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मित्तल ने कहा, ‘‘उन्हें (सैटेलाइट कंपनियों को) भी दूरसंचार कंपनियों की तरह स्पेक्ट्रम खरीदनी चाहिए, उन्हें दूरसंचार कंपनियों की तरह लाइसेंस के लिए भुगतान करना चाहिए।” मित्तल ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों के नेटवर्क को सुरक्षित किया जाना चाहिए।एलन मस्क की स्टारलिंक और अमेजन के प्रोजेक्ट कुइपर जैसी वैश्विक कंपनियां सरकार के फैसले के तहत प्रशासनिक आवंटन का समर्थन करती हैं।