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एड्स से खुद बचें और दूसरों को भी बचाएं- सीएमओ

• विश्व एड्स दिवस पर आयोजित हुई गोष्ठी व हस्ताक्षर अभियान

• 22 क्षय रोगियों को किया पुष्टाहार वितरित

औरैया। एचआइवी वायरस है और इससे संक्रमित होने के कई कारण हैं, लेकिन असुरक्षित यौन संबंध प्रमुख कारण है। इसके अतिरिक्त संक्रमित का खून चढ़ने, इस्तेमाल की गई सिरिज किसी को लगाने से भी खतरा रहता है। यह बातें विश्व एड्स दिवस पर जिला क्षयरोग केंद्र, चिचौली में आयोजित गोष्ठी के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अर्चना श्रीवास्तव ने कहीं। उन्होंने इस बीमारी के प्रति स्वयं और दूसरों को जागरूक करने की अपील की। इस मौके पर प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत गैल इंडिया लिमिटेड द्वारा गोद लिये गये 22 क्षय रोगियों को पुष्टाहार वितरण करते हुए क्षय रोग के प्रति सचेत भी किया गया। गोष्ठी के बाद हस्ताक्षर अभियान चलाकर लोगों को संकल्प दिलाया गया।

उन्होंने कहा कि एचआइवी (ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस) और एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम) के अंतर को समझना भी जरूरी है। एचआइवी संक्रमित की रोग प्रतिरोधक क्षमता जब बेहद कमजोर हो जाती है तो #एड्स होता है। उन्होंने लक्षणों के बारे में भी बताया। एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के मुंह पर सफेद चकतेदार धब्बे उभरना, शरीर से अधिक पसीना निकलना, बार-बार थकान का एहसास होना, अचानक वजन कम होना व पूरे शरीर में खुजली और जलन होना एचआइवी का मुख्य लक्षण है।

साथ ही उन्होंने क्षय रोगियों को समझाया कि टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस ब्रोंकाइटिस अथवा क्षय रोग का इलाज पूरी तरह संभव है। चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित रूप से दवा का सेवन करना है। यदि मरीज क्षय रोग के निदान में लापरवाही बरतता है तो ये रोग परिवार के अन्य सदस्यों को भी लग सकता है। इसका सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों तथा अस्पतालों में निशुल्क इलाज है।

जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी/जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संत कुमार ने बताया कि पूरे विश्व के लिए एड्स जटिल समस्या है। एड्स 90 प्रतिशत असुरक्षित यौन संबंधों से फैलता है। अपने साथी के प्रति वफादार एड्स जैसी खतरनाक बीमारी से सुरक्षित रहा जा सकता है। जागरूकता ही एड्स से बचाव का उपाय है। बताया की एचआईवी एड्स पर जागरूकता को बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है| इस वर्ष की थीम ‘समानता’ रखी गई है। इसका उद्देश्य है कि एचआईवी संक्रमित लोगों से भेदभाव न करते हुए उन्हें समान अवसर और बराबरी दिया जाना है।

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एपी सिंह ने कहा कि प्रसव पूर्व जांच से बच्चे को #एचआईवी से बचाया जा सकता गर्भवती यदि पहली तिमाही में प्रसव पूर्व जांच में एचआईवी की जांच करा लें और समय से इलाज शुरू करा दें तो एचआईवी पीड़ित मां के गर्भस्थ शिशु को एचआईवी पीड़ित होने से बचाया जा सकता है। जिला अस्पताल, सहित सीएचसी, पीएचसी पर यह जाँच निशुल्क होती है।

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क्षयरोग विभाग के जिला पीपीएम समन्वयक रविभान सिंह ने भी अपने विचार रखे और लोगों को एड्स के प्रति आगाह किया। बताया की जनपद के सभी #क्षयरोगियों की एचआइवी की जांच और एचआईवी संक्रमित लोगों की क्षयरोग की जांच अनिवार्य रूप से करायी जाती है।

इस मौके पर लक्षित हस्तक्षेप परियोजना के प्रतिनधि राजीव, पीपीएन से रैन्द्र, पीपीटीसीटी काउंसलर अर्चना, गिरजेश, प्रतिभा, एसटीएस संजीव कुमार, अकाउंटेंट संदीप कुमार और गैल इंडिया लिमिटेड प्रतिनिधि प्रतीक सिंह, ऋषि और ऋषभ व फील्ड वर्कर्स सहित क्षयरोग विभाग का स्टाफ मौजूद रहा।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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