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स्कूली बच्चों को भी किया जा रहा फाइलेरिया के प्रति आगाह

• फाइलेरिया नेटवर्क सदस्यों ने स्कूली बच्चों को किया जागरूक

• बच्चों को बताया- साल में एक बार दवा खाना है, फाइलेरिया को भगाना है

कानपुर नगर। जिले में फाइलेरिया से बचाव और इसमें सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। विभाग के प्रयास को अब समुदाय के आम लोगों का भी साथ मिल रहा है। गांव स्तर पर फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य सभी को फाइलेरिया के प्रति जागरूक कर रहें हैं। इसी कड़ी में रविवार को कल्याणपुर ब्लॉक के बिनौर ग्राम सभा के कमपोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय और सचेंडी ग्राम सभा के राधा मोहन जूनियर हाई स्कूल में उपस्थित बच्चों को फाइलेरिया बीमारी से बचाव एवं साफ सफाई के प्रति जागरूक किया गया।

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फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य दौलत सिंह ने छात्र-छात्राओं और शिक्षक-शिक्षकाओं के साथ अपने अनुभव साझा किये I उन्होंने दवा सेवन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होनें अपील की कि सभी लोग सालाना एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन करें जिससे बीमारी से बचाव हो सके और आनेवाली पीढ़ी सुरक्षित रहे। कहा की सिर्फ दो साल से कम के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को छोड़ कर सभी को फाइलेरिया से बचाने के लिये दवा का सेवन करना चाहिये।

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नेटवर्क सदस्य रामसनेही एवं जयशंकर बाजपेई ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमने ना दें, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

मौक़े पर प्रधानाध्यापक सैयद अदीबुल कदर एवं प्रबंधक सुरेंद्र कुमार कुशवाहा और अध्यापक जगदेव कुमार त्रिपाठी, वीके चतुर्वेदी, संगम शुक्ला, निधि सिंह, राधा सचान, कीर्ति अवस्थी भाग्यलक्ष्मी, ज्ञानी देवी सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे।

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मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी पड़ता है बुरा प्रभाव: जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह का कहना है कि आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। लेकिन पसीना, सिर दर्द, हड्डी व जोड़ों में दर्द, भूख में कमी, उल्टी आदि के साथ बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता।

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रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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