अगले महीने 5-15 नंबर तक दिल्ली में लागू होने जा रही ऑड-इवेन के पहले दिल्ली-NCR के लाखों सीएनजी वाहन चालकों के लिए बुरी खबर है। शनिवार को दिल्ली सचिवालय में आयोजित प्रेसवार्ता में सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण और ऑड इवेन पर बात की। उन्होंने कहा कि ऑड इवेन में किसे छूट मिले? इस बारे में उन्होंने परिवहन विभाग से राय मांगी थी। जिस पर विभाग की राय आई है। इस पर केजरीवाल ने कहा कि परिवहन विभाग की रिपोर्ट के आधार पर प्राइवेट सीएनजी कारों को ऑड इवेन में छूट नहीं मिलेगी।
वहीं, परिवहन विभाग की ओर से महिलाओं को छूट देने की बात कही गई है। अरविंद केजरीवाल सरकार भी महिलाओं को छूट देगी। दुपहिया वाहनों पर अभी फैसला नहीं लिया गया है। केजरीवाल ने पत्रकार वार्ता में कहा कि दुपहिया वाहन प्रदूषण करते हैं मगर उन्हें हटा देने से समस्या खड़ी होगी। ऐसे में उस पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही इस बारे में फैसला लिया जाएगा। सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक ऑड इवेन रहेगा।
वहीं, उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण सभी के प्रयास से कम हुआ है। केंद्र सरकार, नगर निगम, दिल्ली सरकार के साथ साथ जनता का भी योगदान है। अब दूसरे राज्यों में पराली जलाने का धुआं दिल्ली आ रहा है। प्रदूषण बढ़ने लगा है। सभी राज्यों से अपील है कि पराली से न जलाएं। दीवाली इस बार चार दिन तक मनाई जाएगी।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने परिवहन विभाग को निर्देश दिया था कि वह इस पर राय दे कि ऑड-इवेन के दौरान किसे छूट दी जाए। रिपोर्ट तीन दिन के अंदर देने के लिए कहा गया था। दिल्ली में 4 नवंबर से 15 नवंबर के दौरान ऑड-इवेन लागू किया जाना है।
यहां पर बता दें कि अब तक जितनी बार भी दिल्ली में ऑड-इवेन स्कीम को लागू किया गया, सीएनजी वाहनों को छूट मिलती रही है। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि ये वाहन प्रदूषण नहीं फैलाते हैं। इतना ही नहीं, पिछले कई बार लागू हुए ऑड-इवेन के दौरान लोगों ने सीएनजी कारों में ‘कार पूलिंग’ को प्राथमिकता दी थी।
अगर परिवहन विभाग का फैसला दिल्ली सरकार अमल में लाई और ऑड-इवेन के दौरान सीएनजी वाहनों को रोका गया तो आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा भी बना सकती है। वजह यह है कि यह मुद्दा आम जनता से जुड़ा है। बता दें कि दिल्ली में ऑड-ईवेन के दौरान लोगों की निर्भरता दिल्ली मेट्रो और दिल्ली परिवहन निगम की बसों में बढ़ जाती थी, लेकिन दोनों की झमता सीमित है। ऐसे में सीएनजी वाहनों को भी ऑड-ईवन के दायरे में लाए जाने की स्थिति में दिल्ली की परिवहन व्यवस्था ही चरमरा जाएगी।