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भाषा विश्वविद्यालय में नजीर अकबराबादी एवं कौमी एकता विषय पर संगोष्ठी

लखनऊ। आज ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में नजीर अकबराबादी एवं कौमी एकता विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उक्त संगोष्ठी में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो इबने कंवल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो ख़्वाजा इकरामुद्दीन, जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली से प्रोफेसर अहमद महफूज़ एवं प्रख्यात जर्नलिस्ट मासूम मुरादाबादी रिसोर्स पर्सन के रूप में उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद से डॉ मोहम्मद अबू शहीम खान एवं डॉ मोहम्मद अख्तर ने भी प्रतिभाग किया।

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प्रो इब्ने कंवल ने अपने व्याख्यान में कहा कि नजीर की शायरी वर्तमान समय में अति उपयोगी है। प्रो अहमद महफूज़ ने कहा कि नजीर अकबराबादी पहले ऐसे कवि है जिनकी कविताओं में असली हिंदुस्तान की धड़कन हमको सुनाई देती हैं। प्रो ख्वाजा इकराम ने कहा कि नजीर अपने दौर में इतने अहम नहीं थे जितने अब हो गए हैं और दिनोंदिन उनकी महत्ता में इजाफा होता जा रहा है। नजीर वास्तव में भारतीय संस्कृति के एक बड़े दूत थे।

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प्रो फखरे आलम ने मेहमानों का स्वागत करने के साथ-साथ अपने भाषण में नजीर की शायरी के मानवीय पहलुओं की व्याख्या की। कार्यक्रम का संचालन प्रो सौबान सईद ने किया। कार्यक्रम में उर्दू विभाग एवं अरबी विभाग के समस्त शिक्षकों और विद्यार्थियों ने प्रतिभाग कर कार्यक्रम को सफल बनाया । कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एनबी सिंह ने की।

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उन्होंने अपने संबोधन में भाषाओं को समाज के जोड़ने की अहम शक्ति बताया और कहा कि भाषाएं समाज को जोड़ने का काम करती हैं, हमें उसकी इस शक्ति को समझने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन प्रो सौबान सईद ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ मोहम्मद अकमल ने दिया।

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