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अपना घर पाने के लिए दस साल से परेशान लोगों ने खोला बिल्डर के खिलाफ मोर्चा

नालंदा क्राउन होम बायर वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रेसवार्ता कर द्वारिका रेजिडेंसी एवं नालंदा बिल्डर द्वारा प्रारंभ की गई आवासीय योजना पूर्ण न कर बार-बार हस्तांतरित करने पर जताया आक्रोश। जिला प्रशासन से पीड़ित लोगों ने की मदद की अपील।

आगरा। अपना घर पाने के लिए 10 साल से भी अधिक समय से परेशान शहर वासियों ने रविवार को बिल्डर की मनमानी, बेईमानी और वादाखिलाफी के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। शहीद स्मारक के निकट डोसा चौक पर नालंदा क्राउन होम बायर वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले पीड़ित लोगों ने प्रेस वार्ता आयोजित कर द्वारिका रेजिडेंसी प्राइवेट लिमिटेड एवं नालंदा बिल्डर द्वारा प्रारंभ की गई आवासीय योजना पूर्ण न कर बार-बार हस्तांतरित करने पर कड़ा आक्रोश व्यक्त किया। साथ ही, जिला प्रशासन से पीड़ित लोगों ने मदद की मार्मिक अपील की।

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किराए पर रहने को हैं मजबूर- एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन अरोड़ा ने पत्रकारों को बताया कि वर्ष 2012 में शास्त्रीपुरम में नालंदा क्राउन के नाम से आवासीय परियोजना लॉन्च की गई थी। बिल्डर द्वारा मार्च- 2014 तक प्रोजेक्ट पूर्ण कर ग्राहकों को प्रोजेक्ट हैंड ओवर करने का वादा किया गया था लेकिन अभी तक प्रोजेक्ट हैंड ओवर नहीं किया गया है। लोगों के पैसे फँसे पड़े हैं। लोग किराए पर रहने और मकान खरीदने के लिए लिए गए ऋण (लोन) की ब्याज देने के लिए मजबूर हैं।

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बिजली-पानी-सीवर तक उपलब्ध नहीं- कोषाध्यक्ष सीए अंकुर जैन ने बताया कि यह आवासीय प्रोजेक्ट अभी तक आधा-अधूरा पड़ा है। योजना के अंतर्गत मकानों के बाहर बिजली, पानी, सीवर, लिफ्ट, पार्किंग, सिक्योरिटी आदि का कार्य नहीं कराया गया है। टावर संख्या एफ और जी को जोड़ने वाली लिफ्ट का ढांचा बनने के बाद तोड़ दिया गया है। फाउंटेंस भी तोड़ दिए गए हैं। वादे के अनुसार क्लब हाउस और स्विमिंग पूल बनाए ही नहीं गए हैं।

कहीं भाग न जाए बिल्डर! मंशा ठीक नहीं- शरद शर्मा ने कहा कि बिल्डर की मंशा ठीक नहीं है। हमें डर है कि वह ठेकेदारों से फर्जी बिलों का आसरा लेकर अपने आप को दिवालिया घोषित करके कहीं भाग न जाए। डॉ. सौरभ चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि सन 2012 में प्रारंभ यह योजना बिल्डर ने जनवरी, 2017 में उन्नति फौरचून को हस्तांतरित कर दी थी। फौरचून ग्रुप में नालंदा क्रॉउन को लेने के बाद बैंकों में गिरवी तो रख दिया लेकिन दिए गए आश्वासन के अनुसार 5 साल में भी मकान उपलब्ध नहीं कराया। उन्होंने भी इस प्रोजेक्ट को पुनः बेच दिया। उन्होंने बताया कि नवागंतुक बिल्डर पंकज मित्तल और प्रमोद कुमार गुप्ता भी हमारे साथ हुई धोखाधड़ी के संबंध में कुछ भी मदद कर पाने में असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं।

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बैंक कर सकती है प्रॉपर्टी की नीलामी- डॉ विजय वीर सिंह ने बताया कि पहले इस प्रोजेक्ट पर 14 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था। नये बिल्डर ने इस पर 25 करोड़ का लोन ले लिया है। बैंक का ऋण चुकाया नहीं जा रहा है। लिहाजा बैंक कभी भी प्रॉपर्टी की नीलामी कर सकती है। वहीं दूसरी ओर इस प्रोजेक्ट में घर खरीदने वाले लोगों को बैंक द्वारा पैसा फाइनेंस नहीं किया जा रहा है। घर खरीदने वाले लोग परेशान हैं।

हमें दिलाएं हमारा आशियाना.. बिल्डर पर सख्त कार्रवाई करे प्रशासन- राहुल देव कठेरिया, संजय प्रभाकर, जितिन अरोरा, अखिलेश पोरवाल, शरद गोपाल, वरुण कांत गोस्वामी और आर्किटेक्ट सतीश कुशवाह ने नालंदा क्रॉउन आवासीय प्रोजेक्ट के तहत अपना घर दिलवाने के लिए लोकतंत्र के प्रमुख और मजबूत स्तंभ मीडिया से सहयोग करने और उनकी आवाज मुखर करने की मार्मिक अपील की। साथ ही जिला प्रशासन से धोखेबाज बिल्डर्स पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की प्रार्थना की।

आज भी प्रासंगिक हैं अटल बिहारी वाजपेयी और वीर सावरकर के विचार

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