यह बात सर्वमान्य है कि गाय में सभी देवी-देवताओं का निवास हैं। इस प्रकार की मानसिकता से नगर में गौ सेवको द्वारा प्रतिवर्ष वर्षा काल में गायों (Cows) की सेवा हरा घास खिला कर नगर के गो सेवको द्वारा की जाती है गो सेवको द्वारा नित्य गायों के देखरेख के साथ उनके इलाज की व्यवस्था भी नगर के गो सेवको द्वारा की जाती है।
निस्वार्थ भाव से नगर में गो सेवको द्वारा की जा रही Cows की देख रेख
ग्रामीण क्षेत्रों से दूध ना देने वाली गायों को नगर में छोड़ दिया जाता है। यह गाय रोड पर इधर उधर भटकती नजर आती हैं। इस तरह गायों की दशा को देखकर नगर में कुछ गौ सेवको द्वारा इनकी देखरेख के लिए 24 घंटे तत्परता देखी जाती है यदि कभी किसी गाय की तबीयत खराब होती है य किसी प्रकार का एक्सीडेंट होता है तो गौ सेवको द्वारा तुरंत पहुंच कर गाय का इलाज किया जाता है वर्तमान में गायों के खाने के लिए गौ सेवको द्वारा नगर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों से हरी घास मंगाकर नगर के मुख्य चौराहों पर गायों को घास खिलाई जाती है जिससे भूखी प्यासी गायों की सेवा हो सके प्रतिवर्ष गौ सेवको द्वारा यह कार्य निस्वार्थ भाव से किया जाता है नगर चाचौड़ा में भी गायों की सेवा के लिए नित्य गो सेवको द्वारा सेवा कार्य किए जाते रहते हैं
गोवंश पर होती हैं राजनीतिया पर नहीं देता इनकी ओर कोई ध्यान
देखा जाता है कि जब चुनाव आते हैं तो राजनीतिक मुद्दों की बात आती है तो गोवंश को लेकर राजनीति में बड़े बड़े वादे किए जाते हैं पर इन वादों पर जनप्रतिनिधि खरे नहीं उतरते गायों की दुर्दशा जैसी पहले थी वैसी ही हमेशा दिखाई देती है गाय हमेशा दर दर की ठोकर खाती हुई इधर से उधर भटकती नजर आती हैं। जनप्रतिनिधियों व धर्म के ठेकेदारों द्वारा गोवंश को मुद्दा बनाकर ऊंचाइयों तक पहुंचा जाता है पर इन गो माताओं की ओर किसी का भी ध्यान नहीं रहता इनकी सेवा के लिए नगर के गोसेवक ही आगे आते नजर आते हैं।
गौशालाएं बनकर तो तैयार हो जाती हैं
पर इन पर राजनीति करने वाले राजनेताओं द्वारा इनकी सेवाओं व देखरेख के लिए कुछ नहीं कहा जा सकता क्षेत्र से जुड़ी गौशालाएं बनकर तो तैयार हो जाती हैं कुछ समय गायों के रहने की व्यवस्था भी रहती है। पर गो वंश की सेवा नहीं की जाती है। उनको बस्तियों में छोड़ दिया जाता है। गायों की सेवा कार्य के लिए नगर के गौ सेवकों द्वारा चौबीसों घंटे गायों के इलाज के लिए त्तपर्यता एवं नगर के गौ सेवको द्वारा घास खिला कर निस्वार्थ सेवा की जाती है।
घटनास्थल पर पहुंचकर गाय की देखभाल पर प्राथमिक
नगर के गो सेवको द्वारा पिछले 5 वर्षों से निस्वार्थ भाव से गो सेवा कार्य किया जा रही है बीनागंज निवासी गिर्राज सोनी अपने बचपन काल से ही गायों की सेवा में जुटे हुए हैं। यदि किसी भी गाय की तबियत य एक्सीडेंट हो जाता है। तो गो सेवक गिरराज सोनी द्वारा तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर गाय की देखभाल पर प्राथमिक उपचार के दौरान घायल या बीमार गाय को निचला बाजार संत रामानंद आश्रम के सामने गो सेवक स्थल पर गाय को ले जाकर इलाज किया जाता है। नगर के अन्य गौ सेवकों द्वारा नगर के सहयोग एवं स्वयं के खर्चे पर गायों को घास प्रतिवर्ष वर्षा काल में 2 से 3 माह तक प्रतिदिन शाम के समय नगर बीनागंज के मुख्य चौराहों पर एवं अन्य स्थानों पर गायों के समूह को घांस खिलाकर निस्वार्थ भाव से सेवा की जाती है।
स्वयं के एवं नगर वासियों के सहयोग से
बीनागंज निवासी गुलाब सिंह जादौन द्वारा बताया गया कि मैं स्वयं के एवं नगर वासियों के सहयोग से स्वयं एवं अपने साथियों के साथ मिलकर गायों को वर्षा काल में 2 से 3 महीने तक घास खिलाते हैं प्रीति महा लगभग चालीस से पैतालीस हजार की घांस गायों को खिलाई जाती है। यह राशि कुछ नगर के गौ सेवकों द्वारा एवं कुछ अपने स्वयं के द्वारा मिला कर गायों की निस्वार्थ भाव से सेवा की जाती है गौ सेवकों में नगर के मोहन पालीवाल, मयूर सोनी, दिनेश लोधा, अज्जू पारीक, संजू खंडेलवाल, पवन जादौन, के सहयोग से नगर में जगह-जगह गायों को गो सेवको द्वारा घास खिलाई जाती है।