लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी ने केन्द्र सरकार की हठधर्मिता और उसके तानाशाही रवैए पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि किसान आन्दोलन के आज सात महीने पूरे हो गए हैं फिर भी केन्द्र सरकार पूँजीपतियों की गोद से बाहर नहीं आ रही है जबकि देश के अन्नदाताओं का आन्दोलन लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार शान्तिपूर्ण ढंग से चल रहा है।
देश के कृषि मंत्री अपने अहंकार से ग्रस्त होकर बोल रहे हैं कि कृषि कानूनों को रद्द करने का प्रश्न नहीं उठता। देश के प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि उनके और किसानों के बीच में एक फोन काल की दूरी है, परन्तु वह टेलीफोन नम्बर आज तक जारी नहीं हो सका। इस आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि किसानों की अवहेलना और आन्दोलन को कमजोर करने की साजिश केन्द्र सरकार के संरक्षण में हो रही है।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि इसी सरकार ने गणतन्त्र दिवस पर अपने ही लोगों के द्वारा किसानों के शान्तिपूर्ण प्रदर्शन को बदनाम करने की कोशिश की, जिससे किसानों का मनोबल टूटने लगा परन्तु किसानों के प्रति सच्ची हमदर्दी रखने वाले स्व. चौ. अजित सिंह के एक टेलीफोन से किसान भाइयों को बल मिला।
उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत से कहा कि वे स्वयं और समस्त राष्ट्रीय लोकदल किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस लडा़ई को लड़ेंगे तथा तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द करायेंगे। आज राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय जयन्त चौधरी हर स्तर पर किसानों के साथ खड़े हैं। रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सभी प्रदेशों में महामहिम राज्यपाल महोदय के माध्यम से किसानों द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन दिया गया है। जिसमें काले कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
विश्वास है कि महामहिम राष्ट्रपति महोदय किसान हितों की रक्षा के लिए केन्द्र सरकार को निर्देशित करेंगे और इन किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराने की ऐतिहासिक भूमिका का निर्वहन करेंगे। राष्ट्रीय लोकदल, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्स वादी ), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया, फारवर्ड ब्लॉक, लोकतांत्रिक जनता दल तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी संयुक्त रूप से महामहिम राष्ट्रपति को पूर्व में ही ज्ञापन भेजकर काले कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया है।