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सिडबी के एसेट 4 ट्रिलियन के पार, ऋण व अग्रिम वितरण 76 फीसदी बढ़ा

लखनऊ। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने अपनी 25वीं वार्षिक आम बैठक लखनऊ स्थित प्रधान कार्यालय में आयोजित की। इस वार्षिक आम बैठक में 31 मार्च, 2023 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए सिडबी के लेखापरीक्षित वित्तीय परिणामों को अनुमोदित किया गया।

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सिडबी (SIDBI) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सिवसुब्रमणियन रमण, आईएऐंडएएस ने सदस्यों को संबोधित किया और सिडबी के वित्तवर्ष 2022-2023 के वित्तीय और परिचालनगत कार्यनिष्पादन पर प्रकाश डाला। सिडबी ने बकाया संविभाग, आय, शुद्ध लाभ और तुलनपत्र का अब तक का अधिकतम आकार हासिल किया। सिडबी ने अपने सभी व्यावसायिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संवृद्धि हासिल की। सिडबी ने तुलनपत्र में 4 लाख करोड़ रुपये के मुकाम को भी पार कर लिया।

सिडबी के एसेट 4 ट्रिलियन के पार ऋण व अग्रिम वितरण 76 फीसदी बढ़ा

सिडबी का संवितरण वित्तवर्ष 2022 में 1,43,758 करोड़ रुपये से 93% बढ़कर वित्तवर्ष 2023 में 2,76,755 करोड़ रुपये हो गया। सिडबी के ‘ऋण और अग्रिम’ वित्तवर्ष 2022 के 2,02,252 करोड़ रुपये से 76% बढ़कर वित्तवर्ष 2023 में 3,56,439 करोड़ रुपये हो गये। बैंक का आस्ति-आधार 2,47,379 करोड़ रुपये से 63% बढ़कर 4,02,383 करोड़ रुपये हो गया।

वित्त वर्ष 2023 में, बैंक ने 18,485 करोड़ रुपये की आय और 3,344 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित करते हुए इनमें गत वर्ष की तुलना में क्रमश: 102% और 71% की वृद्धि दर्ज़ की। वित्तवर्ष 2023 में प्रति शेयर अर्जन (ईपीएस) 58.81 रुपये रहा। 31 मार्च, 2023 तक सकल और निवल एनपीए अनुपात में और भी कमी आयी और वे क्रमशः 0.01% और 0.00% रहे । वार्षिक आम बैठक ने वित्तवर्ष 2023 के लिए 20% के लाभांश के भुगतान को मंजूरी दी।

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श्री रमण ने कहा कि बैंक की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष वित्तीय गतिविधियों से एमएसएमई क्षेत्र को अपेक्षाकृत कम लागत वाले ऋण -प्रवाह में पर्याप्त वृद्धि हुई है। पिछले 2 वर्षों में सिडबी के तुलनपत्र में एमएसएमई क्षेत्र के कुल ऋण का हिस्सा 7% से बढ़कर 17% हो गया है और वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के सहयोग से अगले 2 वर्षों में इसे 25% तक ले जाने का लक्ष्य है।

सिडबी को यह अधिदेश प्राप्त है कि वह बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को पुनर्वित्त देकर और पूर्णतया डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से ऋण और इक्विटी के रुप में प्रत्यक्ष वित्त सहायता के ज़रिए एमएसएमई क्षेत्र को कम लागत पर वित्त प्रदान करे। एमएसएमई के लिए सरकारी योजनाओं जैसे- पीएम स्वनिधि और पीएम विकास का कार्यान्वयन सिडबी की ऋणप्रदायगी संबंधी गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण अंग है।

सिडबी के एसेट 4 ट्रिलियन के पार

वित्तपोषण के साथ-साथ, सिडबी ने एमएसएमई क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए नवोन्मेषी समाधान विकसित करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। एमएसएमई को हरित प्रथाएँ अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बैंक ने डिजिटल पारितंत्र विकसित करने और वित्तीय साधनों के कार्यान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।

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