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माघी पूर्णिमा का महात्म्य

हमारे भारतवर्ष में हर दिन, हर तिथि का कोई ना कोई विशेष महत्व होता है। उनमें से पूर्णिमा तिथि की अपार महत्ता है। इससे भी अधिक माघ मास की पूर्णिमा व्रत-दान और संकल्प के लिए सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। जहां एक ओर शरद पूर्णिमा लक्ष्मी प्राप्ति का विशेष दिन है। उसी तरह माघ मास की पूर्णिमा श्रीहरि विष्णु की आराधना के लिए खास दिन है। इस तिथि पर स्नान, दान और जप को बहुत पुण्य फलदायी बताया माना जाता है। माघ पूर्णिमा पर माघ स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। माघ महीने में गंगा स्नान करने से साथ ही साथ विष्णु पूजा करने और खिचड़ी खाने का विशेष प्रावधान बनाया गया है।

इस बार माघ पूर्णिमा 16 फरवरी 2022 को पड़ रहा है।

विशेष महत्व है. हर माह की आखिरी तिथि पूर्णिमा होती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है. माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन का शास्त्रों में विशेष महत्व है।इस दिन शाही स्नान किया जाता है।माघी पूर्णिमा के दिन गंगा तट पर उत्सव जैसा माहौल होता है. इस दिन पूजा, जब, तप और दान का खास विधि विधान है।

सदियों से चलती आ रही परम्परा एवं धार्मिक मान्यता है कि इस पूजा-पाठ और जप-तप आदि से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। वहीं, मृत्यु के बाद व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं माघी पूर्णिमा की तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में-

माघ मास का महत्व

माघ माह में चलने वाला यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा तक होता है। तीर्थराज प्रयाग में कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन माघ पूर्णिमा ही है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान नीलमाधव प्रसन्न रहते हैं तथा उन्हें सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष प्रदान करते हैं।मघा नक्षत्र के उदय होने से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति होती है। मघा नक्षत्र को श्रीविष्णु जी का हृदय कहा जाता है।

माघ पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप किये जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध और गरीब व्यक्तियों को दान देना चाहिए।

1. माघ पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
2. स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन यानी श्रीकृष्ण जी की पूजा करनी चाहिए।
3. दोपहर में गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए।
4. दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में देना चाहिए. माघ माह में काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए।

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