गोरखपुर। पेंशन, आवास, शुद्ध पेयजल, शौचालय आदि सुविधाओं की बांट जोह रहे ग्रामीण ग्रामसभा बरईपार के साहनी टोले का हाल गोरखपुर सरकारें चाहें लाख कोशिशें कर लें, लेकिन जबतक योजनाओं को अमलीजामा पहनाने वाले जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे तब तक सरकारी खजाने का अपव्यय होता रहेगा। इसका जीता जागता उदाहरण गगहा विकास खण्ड के ग्राम पंचायत बरईपार का साहनी टोला है। जंहा सरकार की योजनाओं को जिम्मेदारों द्वारा पलीता लगाया जा रहा है। यंहा आज भी ग्रामीण खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। जिसका सुधि लेने वाला कोई नहीं है।
सरकारी योजनाओं से महरूम है बरईपार का साहनी टोला-
यंहा सरकार की विभिन्न योजनाएं जैसे पेंशन, आवास, शौचालय, शुद्ध पेयजल आदि जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। ताज्जुब की बात है कि इस टोले पर लाखों रुपये खर्च भी हो गए। गगहा ब्लाक मुख्यालय से पंद्रह किमी दूरी पर स्थित बरईपार के साहनी टोले पर लगभग 105 परिवार रहते हैं। इस गांव में पेयजल के लिए तीन इंडिया मार्का टू हैंडपंप लगाए गए है। जिसमें दो खराब पड़ा है। वहीं अधिकांश शौचालयों में ग्रामीणों ने पुआल, कंडा (सूखा गोबर), खरपतवार आदि से भर रखा है। जिम्मेदारों के सुधि ना लेने के कारण आज भी यंहा के लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।
गांव की लक्ष्मीना पत्नी विनोद बताती हैं कि शौचालय निर्माण के बाद अबतक केवल एक किश्त का छह हजार रुपये ही मिले है। जबकि सोनू, रामप्रताप साहनी, मीना देवी का कहना है कि शौचालय के लिए कई बार प्रधान से बात की गई। मगर अभी तक हम लोगों को शौचालय की सुविधा नही मिल पाया। जयप्रकाश, घनश्याम, दिवाकर, रामनाथ, गजेंद्र साहनी आदि अन्य ग्रामीणों का कहना है कि उनका शौचालय प्रधान द्वारा ही बनवाया गया, लेकिन उपयोग के लायक नहीं है। विकलांग बेटे के साथ कच्चे घर मे जीवन बसर कर रही 80 वर्षीय राजमती पत्नी मुन्नी साहनी, राधेश्याम, विनोद, रामसेवक, अब्दुल बारी, हबीश, सरोजा पत्नी बालकरन, सरिता पत्नी रामाश्रेय आवास की आस लगाए बैठे हैं। कमला, कुसमावती, धूपराजी, ईसरावती, फूलमती, ज्ञानमती, औधा देवी पेशन के लिए भटक रही हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार-
वही ग्राम पंचायत अधिकारी ताजूल आफरीन एवं ग्राम प्रधान भृगनाथ से जब गांव में बने शौचालयों की संख्या के साथ अन्य जानकारियां जानने कि कोशिश किया गया, तो उन्हें इसकी पूरी जानकारी नहीं थी। पूछने पर बताया कि शौचालय के संख्या की सही जानकारी नहीं है, कुछ लोगों के शौचालय का पैसा बाकी है। इस संबंध में खण्ड विकास अधिकारी सुनील कौशल का कहना है कि गांव में कराये गये विकास कार्यों का लेखा-जोखा जिम्मेदारों के पास न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। जल्द ही गांव की अन्य समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
रिपोर्ट- रंजीत जायसवाल