उन्नाव गैंगरेप केस में आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ SIT जांच के आदेश दिये जा चुके हैं। वहीं पीड़िता ने आरोपी विधायक को फांसी की सजा देने की मांग की है। पीड़ितों ने कहा कि उन्हें परेशान किया जा रहा है। एक साल की प्रताड़ना के बाद पिता की जान ले ली गई।
- इसके बाद भी कोई पाप और अन्याय नहीं हुआ।
- गरीबों के साथ यूपी सरकार का क्या यही न्याय है?
- पीड़ित परिवार ने सत्ता के बल पर किये जाने वाले कुकर्मों और सरकार की कठपुतली बने सरकारी अफसरों पर सवाल उठाये हैं।
SIT जांच, आरोपी विधायक से पूंछतांछ
गैंगरेप आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ हालांकि सरकार ने एसआईटी जांच के आदेश दिये हैं। लेकिन उसके बावजूद प्रदेश सरकार पर पीड़ित परिवार ने सीधा वार करते हुए कहा कि क्या एक गरीब परिवार के इकलौते देखरेख करने वाले को मार दिया गया। एक साल से गैंगरेप के आरोप के लिए न्याय की गुहार लगा रही पीड़िता की कोई सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद अचानक उसके पिता के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया गया।
- हद तो तब हो गई जब मृतक को जबरन सरकारी अफसरों और पुलिस की मिलीभगत से मौत के घाट उतार दिया गया।
- आखिर यह सब पूरे एक साल तक चलता रहा।
- लेकिन प्रदेश की राजधानी से सटे इलाके में होने के बावजूद आलम यह रहा कि किसी अफसर ने इसको संज्ञान में नहीं लिया और जुर्म पर जुर्म होते चले गये।
दागी को दावत और ईमानदार को हवालात और फिर मौत
लड़की रेप का दावा करती है, लेकिन ईमानदारी का चोला पहने सरकारी अफसरों ने उसे पूरे एक साल तक भटकने के लिए मजबूर कर दिया। आरोपी विधायक ने रेप पीड़िता के पिता को फर्जी मामले में फंसाकर जेल के पीछे भी भेज दिया। लेकिन जो पहले से आरोपी था वह विधायक कल भी आजाद था और आज भी आजाद है। आखिर सत्तासीन विधायक के साथ सरकार अफसरों की आंखों पर काली पट्टी बंधी थी। जिससे एक ईमानदार की जान लेकर पूरे परिवार को बर्बादी के मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। लेकिन उसके बावजूद आरोपी विधायक पर सरकार अभी तक केवल जांच तक ही पहुंच पाई।
- ईमानदारी के दम पर आई सरकार पर आरोपी विधायक का यह काला कारनामा कालिख पोतने का काम कर रहा है।
- जिस पर सत्तासीन विधायक और सरकारी अफसरों तक के मिली भगत के सबूत सामने आये हैं।
- जो अब मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं।
सीएम योगी ने पीड़ित परिवार को दिया इंसाफ का भरोसा
सीएम योगी के जांच के आदेश के बाद एसआईटी टीम का गठन किया गया है। जिससे सीएम ने शाम तक रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिये हैं। जिसके बाद एसआइटी टीम आज उन्नाव पहुंच गई है। जहां पर पीड़ित परिवार के घर का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं है और गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं आरोपी विधायक के गुर्गे गांव में जरूर मौजूद हैं।
- इसके साथ गांव के लोग भी अपनी जुबान खोलने से कतरा रहे हैं।
- ऐसे में पीड़ित के साथ कितना न्याय होगा यह देखने लायक होगा।
ओरोपी विधायक का पीड़ित परिवार को नया अध्याय शुरू करने का आॅफर
आरोपी विधायक ने पीड़ित लड़की के चाचा से सब भूल जाने की नसीहत देते हुए फोन पर ही धमकाया। कहा कि मुझे विधायक कुलदीप सिंह सेंगर कहते हैं। सारी लड़ाई खत्म करो, तुम हमारे पास आ जाओ। मिलकर नया अध्याय शुरू करे। आरोपी विधायक से जवाब में उन्होंने कहा कि अभी पिछला बही खाता बंद नहीं हुआ है।
- उसका हिसाब कौन करेगा।
- पहले उसका हिसाब तो हो जाये।
आयोग ने कहा डीजीपी बताएं कैसे हुई हिरासत में मौत
आयोग ने कहा है कि डीजीपी बताएं कि न्यायिक हिरासत में हुई मौत की रिपोर्ट आयोग को 24 घंटे के अंदर क्यों नहीं दी गई? इस मामले में मृतक की हेल्थ रिपोर्ट भी मांगी गई है, जब वह जेल में निरुद्ध किया गया था। इसके साथ ही पूछा गया कि जेल प्रशासन की तरफ से उसका क्या उपचार किया गया।
- ये रिपोर्ट चार सप्ताह के अंदर आयोग को भेजनी होगी।
दागी अफसरों और कर्मचारियों की भरमार
यूपी में दागी अफसरों और कर्मचारियों की भरमार पिछली सपा सरकार में ही बहुत ही तेजी से हुई। जिसके बाद उस पर लगाम लगा पाने में यूपी सरकार अब तक पूरी तरह से कामयाब नहीं हो सकी। जिसकी वजह से ईमानदार बीजेपी सरकार की साख को बट्टा लग रहा है। प्रदेश सरकार ने बीते एक साल में इसे गंभीरता से नहीं लिया।
- सपा सरकार में पैदा हुए दागी अफसरों ने समाजवादी सरकार में गु्ंडागर्दी, फर्जी मुकदमे, जमीन की कब्जेदारी, हत्या और लूट जैसे घटनाओं को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी।
- जिन पर कार्रवाई करते हुए बर्खास्त किया जाये और इन्हें दागी घोषित किया जाये।
कब्जे और फर्जी मुकदमों से पीड़ितों को न्याय देने में योगी सरकार की नाकामी
पिछली सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने के बाद जनता ने जिस न्याय के लिए नई सरकार से उम्मीद की थी। वह आज धूमिल हो रही है, गरीब और असली पीड़ितों को न्याय दिलाने के नाम पर अफसरों की गुंडई का शिकार होना पड़ रहा है।
- जिसकी वजह से सरकारी रिकार्डों में अफसरों ने फर्जी समाधान करके सरकारी रिकार्ड बनाने में लगे हैं।
- यही नहीं अफसर इसी बहाने अपना ओहदा भी बढ़ाने की फिराक में फर्जी समाधान कर रहे हैं।