सीता नवमी Sita Navami भी बहुत शुभ फलदायी है चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान राम का प्राकट्य हुआ तो माता सीता वैशाख शुक्ल नवमी को प्रकट हुई थी। जिस प्रकार राम नवमी को बहुत शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी है क्योंकि भगवान श्री राम स्वयं विष्णु तो माता सीता लक्ष्मी का स्वरूप हैं।
इस दिन Sita Navami
इस वर्ष Sita Navami 24 अप्रैल को है। सीता नवमी के दिन वे धरा पर अवतरित हुई थीं, इस कारण इस सौभाग्यशाली दिन जो भी माता सीता की पूजा अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करता है उन पर भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
पुरुषों में भगवान श्री राम को आदर्श पुरुष की संज्ञा दी गई है। जानकी के आदर्शों पर चलना हर स्त्री की कामना हो सकती है। जीवन की हर परिस्थिति में अपने पति का साथ देने वाली पतिव्रता स्त्री के रुप में माता जानकी को पूजा जाता है।
पूजा की विधि
स्थान पर एक सुंदर सा मंडप सजाएं जिसमें चार, आठ या सोलह स्तंभ हों। स मंडप के बीच में एक आसन पर माता सीता व प्रभु श्री राम की प्रतिमा की स्थापना करें। प्रतिमा के स्थान पर चित्र भी रख सकते हैं। तत्पश्चात प्रतिमा के सामने एक कलश स्थापित करें व उसके पश्चात व्रत का संकल्प लें। नवमी के दिन स्नानादि के पश्चात भगवान श्री राम व माता सीता की पूजा करें।
दशमी के दिन विधि विधान से ही मंडप का विसर्जन करना चाहिए। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है एवं राम-सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है।
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