गाजियाबाद। शायद ही आपने सुना होगा कि समाज में अपना रुतबा कायम करने के लिए किसी का अपराधी होना जरूरी है, जिसके खिलाफ जितने अधिक मुकदमे होंगे, वह समाज का उतना ही बड़ा आदमी होगा। बावरिया समाज में ऐसा ही है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और मेरठ की सीमा पर रहने वाले बावरिया परिवारों में तो महिलाएं अपराध न करने पर पतियों को छोड़ देती हैं। बावरियों के बीच रुतबा तय करने का आधार उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे हैं,जिसके खिलाफ जितने अधिक मुकदमे होंगे, समाज में उसे उतना ही अधिक प्रभावशाली माना जाता है। यहां तक कि शादी के लिए लोग योग्यता के रूप में बताते हैं कि उनके बेटे के खिलाफ कितने मुकदमे दर्ज हैं या फिर वह कितना बड़ा अपराधी है।
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गाजियाबाद में दो साल पहले इसी तरह मामला सामने आया था। इसमें एक युवक की पत्नी शादी के छह महीने के अंदर ही पति को छोड़कर चली गई थी। उसने बताया था कि उसका पति लूट मार नहीं करता है। गाजियाबाद के भोजपुर थाने में दर्ज एक रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने कलछीना गांव में रहने वाले एक बावरिया अमित को लूट करते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। पुलिस ने उससे पूछताछ की तो पता चला कि वह अपराध नहीं करना चाहता, लेकिन पत्नी नाराज होकर मायके चली गई है। उसे खुश करने के लिए उसने अपराध करने का फैसला किया। पुलिस यह सुनकर दंग रह गई। पुलिस ने जब गहराई से पूछताछ की तो पता चला कि इस समाज में रुतबा ही आपराधिक इतिहास के आधार पर तय होता है। समाज में उसी का रुतबा सबसे अधिक होगा, जिसके नाम सबसे अधिक मुकदमे दर्ज होंगे।
लूटेरे अमित के बयान पर पुलिस को विश्वास नहीं हुआ तो उसकी पत्नी को थाने में बुलाया गया। उससे पूछताछ की गई, वह जैसे ही थाने में पहुंची और पुलिस की गिरफ्त में अपने पति को देखा तो विफर पड़ी। कहा कि एक काम भी ठीक से नहीं होता।इतना कहने के बाद लूट करने निकले भी तो पहले ही मामले में गिरफ्तार हो गए। उसने पुलिस के सामने ही कह दिया कि ऐसे पति के साथ वह अपनी पूरी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। पुलिस ने उससे पूछताछ की तो पता चला कि छह महीने पहले अमित से उसकी शादी हुई थी। उस समय बताया गया कि अमित के नाम से 7 मुकदमे हैं, लेकिन शादी के बाद पता चला कि उसने कभी कोई लूट मार की ही नहीं, मुकदमे दर्ज होने की बात भी झूठी है।
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इसके बाद महिला ने अपने पति पर लूट मार करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। धमकी भी दी कि ऐसा नहीं करोगे तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी।आखिरकार लगभग छह महीने साथ रहने के बाद वह मायके लौट गई। इस छह महीने में भी उसने एक बार भी अपने पति को पास नहीं आने दिया। अब जब उसकी पत्नी छोड़ कर चली गई तो अमित को ग्लानि हुई और वह लूट के इरादे से निकला, लेकिन पहली ही वारदात में पकड़ा गया।
बता दें कि बावरिया समाज के लोग मूल रूप से मध्य प्रदेश के घुमंतू लोग हैं। ये लोग कुनबे में रहते हैं और इनका कुनबा एक स्थान पर एक महीने से अधिक नहीं रहता। इन लोगों का मुख्य उद्देश्य अपराध होता है।दिन में ये लोग कचरा बीनने और कबाड़ आदि का काम करते हैं। शाम होने के बाद लूट और चोरी करते हैं। इस समय दिल्ली एनसीआर के सभी शहरों में बड़ी संख्या में बावरिया समाज के लोग रह रहे हैं।
गाजियाबाद के तत्कालीन एसपी ग्रामीण डॉ ईरज राजा के मुताबिक बावरियों का कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता।ये ज्यादातर सड़कों के किनारे झोंपड़ी डालकर रहते हैं। उन्होंने बताया कि गाजियाबाद में उन्होंने जब इस मामले का खुलासा किया था तो वह खुद भी हैरान रह गए थे। उन्होंने बताया कि इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसमें पुलिस कानून के मुताबिक कार्रवाई भी करती है, लेकिन आरोपी जेल से बाहर आने के बाद दोबारा से इसी धंधे में लग जाते हैं। गुरुग्राम पुलिस के मुताबिक यहां लूट के मामले में अब तक दर्जनों बावरियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। साल 2019 में यहां एक ऐसे बावरिया को गिरफ्तार किया गया था जो छोटी लड़कियों को अगवा कर उनके साथ रेप करता था।