हिंदुस्तान में निजी क्षेत्र के चौथे सबसे बड़े बैंक यस बैंक के निदेशकों की लापरवाही बैंक के ग्राहकों के लिए भारी पड़ गई। बृहस्पतिवार की शाम को यस बैंक के ग्राहकों को बड़ा झटका देते हुए रिजर्व बैंक ने पचास हजार रुपए से ज्यादा रुपए निकालने पर रोक लगा दी। इसके कारण शेयर बाजार में भी जबरदस्त गिरावट देखने को मिला, 1400 अंक पर सेंसेक्स टूटा।
खबर मिलते ही बैंक के एटीएम के बाहर ग्राहकों की कतारें लगनी शुरु हो गई। वहीं ज्यादातर एटीएम पर सर्वर डाऊन की तख्ती लटकी देख कर देर रात तक ग्राहक एक से दूसरे एटीएम की ओर दौड़ लगाते नजर आए। देर शाम रिजर्व बैंक के इस आकस्मिक नियम को गरियाते ग्राहकों ने हुए देश की अर्थव्यवस्था को भी जमकर भड़ास निकाली।
भारत में प्राइवेट सेक्टर के चौथे सबसे बड़े बैंक यस बैंक की देश के 28 राज्यों और 9 केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूदगी है। देशभर में इसकी तकरीबन 1000 शाखाएं हैं और 1800 एटीएम हैं जिसके जरिए बैंक अपने ग्राहकों को सुविधाएं मुहैया कराता है। मगर यस बैंक के निदेशकों की लापरवाही का खामियाजा आखिरकार बैंक के ग्राहकों को भुगतना पड़ा। नगदी के संकट से जूझ रहे येस बैंक पर शिकंजा कसते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने येस बैंक के निदेशक मंडल को भंग कर दिया। RBI ने इस बैंक के निदेशक मंडल को भंग करते हुए प्रशासक नियुक्त कर दिया है। इसके साथ ही RBI ने गुरुवार को बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदियां भी लगा दीं।
केंद्रीय बैंक ने अगले आदेश तक बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय कर दी है। पांच मार्च को शाम 6 बजे से ही इस फैसले को प्रभावी कर दिया गया। पांच तारीख को अचानक आए इस फैसले के कुछ ही देर पहले लोगों की तनख्वाह उनके बैंक अकाउंट में क्रेडिट हुई थी। ऐसे में आरबीआई के इस फैसले से गुस्साए लोगों ने शाम से ही बैंक के एटीएम के बाहर कतारें लगाकर पैसे निकालने की कवायद शुरु कर दी। अचानक इतनी सारी ट्रांजेक्शन के लिए बैंक के एटीएम तैयार नहीं थे और देखते ही देखते सर्वर डाऊन का साइन स्क्रीन पर दिखने लगा। घबराए ग्राहक एक के बाद दूसरे बैंक की ओर दौड़ते-भागते और कतार लगाते दिखाई दिए।
गौरतलब है कि पचास हजार रुपए की सीमा का ये फैसला फिलहाल के लिए 3 अप्रैल 2020 तक प्रभावी रहेगी। बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गई है। आरबीआई ने देर शाम जारी बयान में कहा कि यस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है।
इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था। आपको बता दें कि यस बैंक काफी समय से डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है। इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को यस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी।
सरकार ने SBI की अगुआई वाले बैंकों के समूह को यस बैंक के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है। दिन भर यस बैंक को लेकर गतिविधियां चलती रहीं। इस दौरान एसबीआई के निदेशक मंडल की बैठक भी हुई। ऐसी भी चर्चाएं है कि एलआईसी से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के साथ मिलकर हिस्सेदारी खरीदने की योजना पर काम करने को कहा गया है। कुल मिलाकर दोनों की यस बैंक में हिस्सेदारी 49 प्रतिशत रह सकती है। यस बैंक में LIC पहले ही आठ प्रतिशत की हिस्सेदार है।
इससे पहले भी यस बैंक को सरकार की मदद से उबरने की खबरें सामने आई थी। SBI के चेयरमैन रजनीश कुमार ने भी कहा था कि संकट में फंसे बैंक को ‘बंद नहीं’ होने दिया जाएगा। यस बैंक अगस्त 2018 से संकट में बताया जा रहा है। उस समय RBI ने तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर को 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था। उनके बाद कुर्सी संभालने वाले रवनीत गिल ने संकटग्रस्त ऋणों की सूचना प्रकाशित की। बैंक को मार्च 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ। यस बैंक ने शुरुआत में दो अरब डॉलर की पूंजी जुटाने की योजना बनाई थी। इस बारे में कई प्रस्तावों पर विचार-विमर्श हुआ था, लेकिन कोई सिरे नहीं चढ़ सका।