जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 5 जनवरी को नकाबपोश लोगों ने परिसर में घुसकर जमकर हिंसा की थी। इस हिंसा में कई छात्र और शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अब इस हिंसा और इस से पहले हुई हिंसा को लेकर चौका देने वाले खुलासे हुए हैं।
दरअसल सूचना का अधिकार कानून के तहत दाखिल अर्जी के जवाब में नई बातें सामने आई हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता सौरव दास ने बताया कि उन्होंने 8 जनवरी को अर्जी देकर जवाब मांगा था। दास ने CNN News18 को बताया कि उन्हें 24 घंटे में ही आरटीआई अर्जी का जवाब दे दिया गया था। दास ने बताया कि उन्होंने जेएनयू छात्रों की जिंदगी और उनकी स्वतंत्रता के खतरे में होने का दावा किया था।
इस आरटीआई के मुताबिक, जेएनयू प्रशासन ने 3 और 4 जनवरी को हिंसा की घटनाएं होने की बात कही हैं। सौरव दास ने बताया कि दिल्ली पुलिस की FIR के मुताबिक, तोड़फोड़ की घटनाएं 1 जनवरी को हुई थीं।
मालूम हो कि JNU प्रशासन ने दावा किया था कि छात्रों ने 3 जनवरी को डाटा सर्वर रूम, CCTV कैमरे और बायोमीट्रिक सिस्टम को तबाह और बर्बाद कर दिया। जबकि आरटीआई के तहत JNU ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में स्थित डाटा सर्वर रूम में किसी तरह की तोड़फोड़ नहीं हुई। इसके अलावा CCTV कैमरों और बायोमीट्रिक सीस्टम को भी क्षतिग्रस्त नहीं किया गया था।
बता दे कि आरटीआई के प्वाइंट नंबर दो में कहा गया है कि सर्वर रूम में रखे गए सभी सर्वर रूम को सिर्फ रिबूट करके सुधार लिया गया। न तो इन्हें कोई नुकसान पहुंचा था और न ही इन्हें रिप्लेस ही किया गया। इसके अलावा RTI जवाब के प्वाइंट नंबर 4 और 10 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि न तो CCTV कैमरों और न ही डाटा सर्वर रूम में तोड़फोड़ की गई।