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गौशालाओं के निरीक्षण के लिए बनाई जाएगी पर्यवेक्षक टीम: राष्ट्रीय गौ उत्पादक संघ

लखनऊ। राष्ट्रीय गौ उत्पादक संघ ने उत्तर प्रदेश में गौवंश की दुर्दशा के खिलाफ व्यवस्था की नाकामी को उजागर करने का बीड़ा उठाया है, ताकि तत्काल जरूरी सुधार हो और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाय। संघ ने कानपुर की किशनपुर कुलगांव की कान्हा गौशाला की अव्यवस्थाओं पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कानपुर नगर निगम की निंदा की है। संघ के समन्वयक राधेश्याम दीक्षित ने कहा है कि शीघ्र ही उत्तर प्रदेश में जिला स्तर पर पर्यवेक्षक टीम का गठन किया जायेगा।

पर्यवेक्षक टीम जिलों में गौशालाओं, वृहद गौ संरक्षण केंद्र, कान्हा उपवन और गौ आश्रय स्थलों का निरीक्षण करके अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। जिसे पशुपालन मंत्री, भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड और उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग सहित उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के निदेशक को भी सौंपा जाएगा। गौशालाओं/गौ संरक्षण केंद्रों/कान्हा उपवन और गौ आश्रय स्थलों के उचित रखरखाव के लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों को उचित व्यवस्था करनी ही होगी। इनकी व्यवस्था के लिए स्पष्ट नीति है, 30 से अधिक शासनदेश जारी हो चुके हैं, निदेशक के द्वारा सभी गौ आश्रय स्थलों के ऑडिट का आदेश की मियाद पूरी हो चुकी है। आयोग के द्वारा सभी पंजीकृत गौशालाओं का ऑडिट किया जा चुका है। राज्य स्तर पर कृषि उत्पादन आयुक्त इसकी उचित व्यवस्था के लिए कमेटी के अध्यक्ष है, मंडल स्तर पर मंडलायुक्त तो जिले स्तर पर जिलाधिकारी जिम्मेवार हैं। इस तरह जिस जिले में गड़बड़ी पाई जाती है, वहाँ के सभी अधिकारियों सहित पूरी व्यवस्था को जिम्मेवार माना जाय। राष्ट्रीय गौ उत्पादक संघ मांग करता है कि गायों की देखभाल और सुरक्षा के लिए बनाए गए इन प्रतिष्ठानों में लापरवाही, उचित देखभाल के अभाव और कुपोषण के कारण यदि कोई गोवंश की मृत्यु होती है तो जिम्मेदार सभी अधिकारियों के विरुद्ध गोवध निवारण अधिनियम के तहत संगठित हत्या का मुकदमा चलाया जाय।

  • प्रदेश की गौशाला में अनियमितताओं का अम्बार
  • कानपुर में चरही में गिर कर घायल हो रहीं गाय
  • गौ सेवा आयोग अध्यक्ष ने दिया जांच कराने का आश्वासन

संघ के लखनऊ समन्वयक प्रदीप दीक्षित, कानपुर नगर के समन्वयक डॉ विपिन शुक्ला, कानपुर देहात के समन्वयक आर के त्रिपाठी, हरदोई के समन्वयक सत्य प्रकाश सहित लखीमपुर के समन्वयक मुरलीधर वर्मा, जौनपुर की समन्वयक संध्या सिंह, बाराबंकी के समन्वयक डॉ मनीष गुप्ता, महोबा के समन्वयक पवन तिवारी ने इस दिशा में पर्यवेक्षक समिति गठित करने की शुरुआत भी कर दी है, जल्द ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में संघ जल्द ही अपने प्रतिनिधियों की घोषणा करेगा। साथ ही सह समन्वयक देव शरण तिवारी ने बताया कि अधिकांश जिलों में संघ के प्रतिनिधियों ने गौ आश्रय स्थलों की प्रारंभिक रिपोर्ट संघ को भेजना शुरू कर दिया है। जिसके तहत संघ स्थानीय मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी और स्थानीय ग्राम सचिव, ग्राम प्रधान के बीच समन्वय स्थापित करके यथासम्भव सुधार तत्काल करवाया जा रहा है।

उन्होंने कहा है कि गौवंश की सुरक्षा, संरक्षा और संवर्धन के लिए उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से प्रति वर्ष करोड़ों रुपये का अनुदान गौशालाओं को दिया जा रहा है। बावजूद इसके तमाम गौशालाओं में उचित रखरखाव न होने के चलते निराश्रित गायें भूख और बीमारी के कारण दम तोड़ रहीं हैं। उत्तर प्रदेश में पंजीकृत गौ शालाओं की देखरेख सीवीओ के माध्यम से उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग करता है, जबकि गौ आश्रय स्थल जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारियों की निगहबानी में ग्राम पंचायतें करती हैं। वहीं समस्त कान्हा उपवन नगर निगमों के द्वारा संचालित हैं। वृहद गौ संरक्षण केंद्र निकायों, स्थानीय प्रसाशन के द्वारा संचालित हैं।

राष्ट्रीय गौ उत्पादक संघ के समन्वयक राधेश्याम दीक्षित ने बताया कि गौवंश की रक्षा और उनकी उपयोगिता को बढ़ाने के कार्य में समाज की पूरी भागीदारी जरूरी है। आज लाखों गौपालकों ने निराश्रित गौवंश के गोबर और गौ मूत्र से प्रकृतिक खेती करके लाखों रुपये की खाद और कीटनाशकों पर होने वाले खर्च को कम किया है। साथ ही खेती में देशी बीजों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। जल्द ही ऐसी स्थिति भी देखने को मिलेगी कि किसान बहुराष्ट्रीय और बड़ी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहेगा।

बताते चलें कि कानपुर में किशनपुर कुलगांव की कान्हा गौशाला में समस्याओं का अम्बार है। करीब 25 एकड़ में फैली इस गौशाला की स्थापना डेढ़ वर्ष पूर्व की गई थी। नगर निगम कानपुर की देखरेख में संचालित इस गौशाला में करीब 3570 गौवंश और 650 के आसपास नंदी हैं। यहाँ के प्रभारी राजेंद्र मिश्र और मुनीम जी का कहना है कि रखरखाव के लिए यहाँ तीन शिफ्ट में मात्र 35 कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनमें से सुबह 24, दोपहर 6, और शाम को 5 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। लेकिन वास्तविकता इसके बिलकुल विपरीत है। स्थलीय निरीक्षण के दौरान मात्र तीन-चार कर्मचारी देखने को मिले।

किशनपुर कुलगांव की कान्हा गौशाला में भ्रमण, निरीक्षण करने गये गौप्रेमी मनोज बाजपेयी ने बताया कि गौवंश के लिए छाया की उचित व्यवस्था न देखकर पूछने पर पता लगा की अभी 2 दिन पहले इस विषय में नगर निगम के अधिकारियों से बातचीत हुई है। जबकि सर्वविदित है कि गर्मी तीन महीने पहले से चल रही है और इस समय भीषण बरसात भी जारी है। इसके अलावा गौशाला में पेड़ों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है। गौवंश को सर्दी, गर्मी, धूप बरसात और आँधी से बचाने के लिए पर्याप्त टीनशेड भी नहीं हैं। पूरी गौशाला में अनुमानतः 25 शेड ही होंगे, जिसमें दो या दो से अधिक गौवंश छाया ले सकते हैं। मनोज ने बताया कि 7 अगस्त को वे गौशाला गये थे, जहाँ बहुत छोटे गौवंश धूप में चिल्ला रहे थे, जिसमें एक गोवंश को बेहोशी की हालत में पाया गया फिर उनको छाया में शिफ्ट किया गया।

इसी तरह गौशाला में भूसे, चारे की अव्यवस्था भी देखने को मिली। चरही की गहराई इतनी अधिक प्रतीत हुई जिससे गाय को चारा खाते वक्त कठिनाई महसूस होती होगी। साथ ही चरही में भूसा की ही मात्रा दिखाई दीं। चरही की गहराई का अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि एक गाय जो कि बड़ी थी चरही के अंदर असहाय स्थिती में गिरी हुई दिखाई दी। आग्रह करने पर बहुत कोशिश के बाद घायला़स्था में गाय को बाहर निकाला गया। ऐसा लगता है कि गाय भूसे की चक्कर में चरही के अंदर गिर गई थी।

मनोज का कहना है कि गौशाला में लगभग 30-40 प्रतिशत गौवंश में जियोटैग नहीं मिला। पूछने पर पता लगा कि हर दूसरे से तीसरे दिन टैगिंग होती है। जो की मुझे असंतुष्ट कर रही थी, क्योंकि प्रतिदिन यदि 20 गायों को भी बाहर लाया जाता है तो 5 दिन में 100 गायों को छोड़कर सबको टैगिंग लगी होनी चाहिए थी। प्रभारी से इस विषय में ज्यादा पूछने पर बताया गया कि महापौर ने मना किया है टैग लगाने के लिए। गौशाला प्रभारी के पास महापौर का लिखित आदेश नहीं था। प्रभारी के पास गौशाला से सम्बन्धित कोई भी रिकार्ड नहीं मिला, इस संबंध में बताया गया कि यहाँ कोई भी रिकॉर्ड नहीं रखा जाता, सारा रिकॉर्ड मोतीझील नगर निगम के ऑफिस में रहता है हमारे पास कुछ नहीं रहता।

गौवंश के चारे की बाबत जानकारी दी गई कि चारा दिन भर में तीन बार दिया जाता है। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत थी। गौशाला में करीब पांच से छः घंटे बिताने के दौरान किसी भी चरही में भूसा चारा देखने को नहीं मिला। इस बाबत बताया गया कि ठेकेदार के द्वारा प्रतिदिन 80 क्विंटल भूसा गौशाला में आता है।

मनोज के अनुसार इस गौशाला में सबसे ज्यादा चिंताजनक दृश्य यह देखने को मिला कि एक बोलेरो गाड़ी में करीब चार से पांच व्यक्ति बिना किसी जांच पड़ताल के गेट के अंदर गाड़ी ले जाते हैं और वो संदिग्ध अवस्था में पूरी गौशाला का भ्रमण करते हैं। पूछने पर उनकी पहचान छिपाई जाती है। या फिर एक ही व्यक्ति के बारे में तीन अलग अलग पहचान बताई जाती है। उनमें से एक शिवम् नाम के व्यक्ति ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। मिश्रा जी नाम के गौशाला प्रभारी का कहना है कि वे शिवम् नाम के व्यक्ति के साथ आये अनवर को नहीं जानते हैं। मनोज का कहना है कि गौशाला में संदिग्ध गतिविधियों को देखकर वे चिंतित हैं। इस बाबत उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष से उनकी फोन पर बातचीत हुई है। अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि प्रशासनिक स्तर पर गौशाला की जांच कराई जाएगी और वहाँ की अनियमितताओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। मनोज ने इस गौशाला की बाबत राष्ट्रीय गौ उत्पादक संघ के संयोजक राधे श्याम दीक्षित को भी अवगत कराया है। मनोज के अनुसार उन्हें आश्वासन दिया गया है कि सारे प्रकरण के लिए शीघ्र ही कोई नीति बनायी जाएगी।

दया शंकर चौधरी

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