उच्चतम न्यायालय राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली पूर्व सैन्य अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया है.
शीर्ष अदालत ने 30 अप्रैल को याचिका पर अटॉर्नी जनरल (एजी) को नोटिस जारी किया था। याचिका में दावा किया गया है कि यह कानून अभिव्यक्ति पर ‘डरावना असर’ डालती है और यह वाक् स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर अनुचित प्रतिबंध लगाता है.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन्ना, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका की प्रति एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को सौंपने का निर्देश दिया है.
बुधवार को सुनवाई के दौरान एजी के.के. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे वेणुगोपाल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय देने का आग्रह किया। पीठ ने उन्हें दो सप्ताह का समय दिया मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ता पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेमचा कन्हैया लाल शुक्ला की ओर से अधिवक्ता तनिमा किशोर के माध्यम से दायर की गई अधिवक्ता सिद्धार्थ सीम द्वारा खींची गई मुख्य याचिका में तर्क दिया गया है .