सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तकों कपिल वधावन और उनके भाई धीरज को दी गई जमानत बुधवार को रद्द कर दी। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय और निचली अदालत ने उन्हें जमानत देकर गलती की है।
पीठ ने कहा, ”हमें इस बात में कोई हिचक नहीं है कि आरोपपत्र दायर किया जा चुका है और उचित समय में संज्ञान लिया जा रहा है, प्रतिवादी वैधानिक जमानत का अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकते थे।” दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत अगर जांच एजेंसी किसी आपराधिक मामले में जांच पूरी होने के बाद 60 या 90 दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर नहीं करती है तो आरोपी वैधानिक जमानत का हकदार हो जाता है।
इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज होने के 88वें दिन चार्जशीट दाखिल की थी और ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को डिफॉल्ट जमानत दे दी थी और दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा था। वधावन बंधुओं को इस मामले में पिछले साल 19 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट किया था कि उसने मामले के गुण-दोष पर गौर नहीं किया। चार्जशीट 15 अक्टूबर, 2022 को दायर की गई थी और संज्ञान लिया गया था। इस मामले में एफआईआर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर आधारित थी।