सुप्रीम कोर्ट ने आज सासंदों और विधायकों को बतौर वकील Court कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोकने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। मंगलवार को अपने फैसले में सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सांसदों और विधायकों के वकालत करने से नहीं रोका जा सकता है क्योंकि वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया में रेगुलर एंप्लॉय नहीं हैं।
बतौर वक़ील Court में प्रैक्टिस कर सकते हैं सासंद और विधायक
दरअसल बीते दिनों बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सासंदों और विधायकों को बतौर वक़ील कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोकने की मांग की थी। बार काउंसिल के विधान और नियमावली के मुताबिक कहीं से भी वेतन पाने वाला कोई भी व्यक्ति वकालत नहीं कर सकता, क्योंकि वकालत को पूर्णकालिक और एकनिष्ठ पेशा माना गया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था, जिसका जवाब देते हुए एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि इस तरह का बैन नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि विधायकी या सांसदी फुल टाइम जॉब नहीं है। साथ ही ये भारत सरकार के कर्मचारी भी नहीं होते हैं।
इससे पहले अपनीबात पर जोर देने के लिए अश्विनी उपाध्याय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम 49 का हवाला भी दिया। इसमें कहा गया है कि कोई भी पूर्णकालिक वेतनभोगी कर्मचारी, चाहे वह निगम, निजी फर्म या सरकार से जुड़ा हुआ हो, कानून की अदालत में वतौर वकील प्रैक्टिस नहीं कर सकता है।