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कांग्रेस के छह बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इन्कार

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्राॅस वोटिंग के बाद बजट पारित करने के दौरान पार्टी व्हिप के बावजूद सदन में मौजूद नहीं रहने पर अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस के छह विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) को नोटिस जारी किया है। सोमवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिका पर परीक्षण करने का फैसला किया, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के 29 फरवरी के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया।

साथ ही बागियों को वोट देने या सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देने से भी इन्कार कर दिया। अदालत ने दोनों पक्षों को चार सप्ताह में काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के निर्देश दिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग आम तौर पर नए चुनावों के लिए अधिसूचना जारी नहीं करता। पीठ ने कहा, हम नोटिस जारी कर सकते हैं। स्पीकर के आदेश पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।

नियमों के तहत हुई कार्रवाई:विनय कुमार
हिमाचल विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। 6 मई को फिर सुनवाई होगी और विधानसभा सचिवालय को जो नोटिस जारी किया गया है उसका हम जवाब देंगे। जो भी कार्रवाई हुई है वो नियमों के तहत हुई है।

अयोग्य विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने स्पीकर के आदेश की वैधता पर सवाल उठाया। साल्वे ने निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग की ओर से लिए गए निर्णय का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नामांकन दाखिल करने की अधिसूचना 7 मई को जारी होगी। अगर स्पीकर के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो मामला निरर्थक हो जाएगा। पीठ ने कहा, जब मामला लंबित रहता है तो चुनाव आयोग इसका ध्यान रखता है।

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