भीड़ पर हिंसा Mob lynching को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पड़ी करते हुए राज्य की सरकारों से कहा कि भीड़ की हिंसा को रोकना उसकी जिम्मेदारी है तथा संसद द्वारा भीड़ की हिंसा के लिए अलग से एक कानून बनाने पर विचार करना चाहिए।
Mob lynching : समाज की रक्षा राज्य का दायित्व
सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा पर लगाम लगाने के लिए सख्त होते हुए संसद द्वारा अलग से कानून बनाने पर विचार करने को कहा। कोर्ट ने राज्य की सरकारों से कहा कि भीड़ की हिंसा को रोकना उसकी जिम्मेदारी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि 20 अगस्त को कोर्ट हालात की समीक्षा करेगा।
सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन एस पूनावाला और महात्मा गांधी के पौत्र तुषार गांधी समेत कई अन्य ने गोरक्षा के नाम पर हुई हिंसा संबंधित याचिका दाखिल की थी। जिसपर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सुनवाई की।
किसी भी शख्स को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। भय और अराजकता का माहौल पैदा करने वालों के खिलाफ राज्य कार्रवाई करे। हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती है : सुप्रीम कोर्ट
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