Breaking News

सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ दर्ज मुकदमों से सुप्रीम कोर्ट हैरान: केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि हालात हैरान करने वाले हैं. इस मुद्दे पर कोर्ट ने सरकार से दो हफ्तों में जवाब मांगा है. दरअसल, एक गैर सरकारी संस्था पीयूसीएल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि जो लोग सोशल मीडिया पर टिप्पणी करके अपनी बात कह रहे हैं उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई हो रही है.

खास तौर पर उत्तर प्रदेश में कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं और लोगों को जेल भेजा जा रहा है. जबकि साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आई.टी. एक्ट के सेक्शन 66 ए को रद्द कर दिया था. इस फैसले का मतलब है कि हर व्यक्ति को अपनी बात सोशल मीडिया पर कहने का अधिकार है. टिप्पणी करने को अपराध नहीं कहा जा सकता.

वकील संजय पारिख ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि कानून रद्द करने के फैसले के बावजूद पुलिस सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रही है और लोगों को जेल भेजा जा रहा है.

इस पर जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीआर गवई ने कहा, हमें मालूम है. हालात हैरान और चौंकाने वाले है. जवाब में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा की नए आई टी एक्ट में फुटनोट में साफ लिखा है की सेक्शन 66 ए को रद्द कर दिया गया है. इस पर जस्टिस नरीमन ने हंस कर कहा कि थानेदार फुटनोट नहीं पढ़ते होंगे.

कोर्ट ने फिर केंद्र सरकार को दो हफ्तों में लिखित जवाब देने को कहा कि वह बताए कि देशभर में ऐसे कितने मामले दर्ज हुए और उनका स्टेटस क्या है. तीन हफ्तों के बाद इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

About Aditya Jaiswal

Check Also

कतर से रिहा होकर लौटे सौरभ और उनके पिता ने PM को लिखा पत्र, कहा- उम्मीद थी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे

नई दिल्ली: कतर ने जिन आठ भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मचारियों को मौत की सजा ...