यौन उत्पीडऩ से जुड़े दो मामलों पर अपने विवादास्पद आदेशों के चलते जस्टिस पुष्पा वी. गनेडीवाला को बंबई हाईकोर्ट का स्थायी जज बनाने की अपनी सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट ने कथित रूप से वापस ले लिया है.

जस्टिस गनेडीवाला ने एक सत्र न्यायालय के आदेश को संशोधित किया था जिसमें एक व्यक्ति को एक नाबालिग के यौन हमले का दोषी ठहराया गया था. उन्होंने फैसला दिया था कि किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल को छूना, यौन हमला नहीं कहा जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने गनेडीवाला के इस फैसले पर रोक लगा दी है.  चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले सर्वोच्च न्यायालय के तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने बंबई हाईकोर्ट के स्थायी जज के रूप में जस्टिस गनेडीवाला की सिफारिश की थी, लेकिन बाद में इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया. सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट को मजबूरन अपनी सिफारिश वापस लेनी पड़ी.

जस्टिस गनेडीवाला ने एक फैसले में कहा था कि पोक्सो के तहत जब तक आरोपी पीडि़ता से स्किन टच नहीं करता उसको यौन शोषण नहीं माना जाएगा. कपड़े के ऊपर से छूना अपराध नहीं होगा. इस फैसले को अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने निजी तौर पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उनका कहना है कि ऐसे फैसले से गलत परंपरा बनेगी.

दूसरे फैसले में जस्टिस गनेडीवाला ने कहा था कि किसी बच्ची का हाथ पकड़ कर आरोपी अपने पैंट का जिप खोलता है तो इससे यौन शोषण नहीं होगा. तीसरे फैसले में जस्टिस गनेडीवाला ने बलात्कार के एक निचिली अदालत के फैसले को पलट दिया और कहा कि बलात्कार के कोई सबूत नहीं मिले है. इस फैसले को भी संदेह की नजर से देखा जा रहा है.